फिलिस्तीन-इज़राइल सीज़फ़ायर को संयुक्तराष्ट्र लागू करवाये: प्रो. नीलम महाजन सिंह

फिलिस्तीन-इज़राइल सीज़फ़ायर को संयुक्तराष्ट्र लागू करवाये
प्रो. नीलम महाजन सिंह 
जिस प्रकार से फिलिस्तीन (Palestine) इजरायल-हमास यु्द्धविराम का उलंघन हो रहा है, यह अन्तरराष्ट्रीय विदेश नीतियों की परम्पराओं का उलंघन है। समझौते के बाद से जंग में 500 से अधिक लोगों की मौत हुई है। मानवीय त्रासदी में, 70000 फिलिस्तीनियों ने अपनी जान गंवाई है। 'इस्राइली हमास वार न्यूज़' के अनुसार, इस जंग ने मानवता पर प्रहार किया है। 
दोनों देशों के बीच शांति समझौते हुए लेकिन इसके बाद भी लोगों के मरने का सिलसिला थमा नहीं है। भारत में फिलीस्तीन के राजदूत डॉ. अब्दुल्लाह शाहवेश ने अश्रुपूर्ण भेंटवार्ता में कहा, "जो फिलिस्तीन की आवाम के साथ पाप हो रहे हैं, इससे उनका दिल दुःखी व त्रस्त है। 
शांति-वार्ता को लागू नहीं करना इजरायल द्वारा निरंकुशता का प्रतीक है"। हाल ही में गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। इजरायल-हमास के बीच हुए युद्ध में अगर किसी का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, तो वह 'मानवता' है! 
लड़ाई जितनी लंबी खिंची जाएगी, उतने ही लोगों की मृत्यु होगी। वे लोग युद्ध से जुड़े हुए भी नहीं थे। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इजरायल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से फिलिस्तीन में मरने वालों की संख्या 70,000 से ज़्यादा हो गई है। ये असहनीय त्रासदी संख्याबल बढ़ता जा रहा है, जिस से लोगों ने युद्ध की कीमत अपनी जान देकर चुकाई है। रियुटर (Reuters) की रिपोर्ट के अनुसार, इतनी अधिक लोगों की मृत्यु का रिकॉर्ड को अंतरराष्ट्रीय स्वकृति प्राप्त हुई है। 
गाजा के दक्षिणी हिस्से में नासिर अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों के शव अस्पताल लाए जा रहे हैं। एक स्कूल के पास विस्थापित लोगों के लिए बने शरण-सल के नज़दीक इजरायली ड्रोन हमलो में अनेक बच्चे मारे गए हैं। क्यों युद्धविराम के बाद भी हमले हो रहे हैं? इजरायली सेना का कहना है कि उसने उन लोगों पर हमला किया जो संदिग्ध गतिविधि करते हुए इजरायली सैनिकों के पास आ गए थे। 
10 अक्टूबर 2025 से लागू युद्धविराम के बाद भी स्थिति शांतिपूर्ण नही है। इजरायल का कहना है कि उसके हमले केवल उन आतंकियों पर होते हैं जो सीजफायर का उल्लंघन कर रहे हैं। इस बीच दोनों पक्ष एक-दूसरे पर युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं।अब गाजा (Gaza) का भविष्य क्या होगा? गाजा की राख पर जंग की नई कहानी लिखी जा रही है।सीजफायर को लेकर अमेरिका ने युद्धविराम के समझौते के साथ ही गाजा के भविष्य के लिए एक प्रारंभिक योजना बनाई है, जिस पर वह काम कर रहा है। 
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल, अंतरिम प्रशासन (interim government), जिसकी देखरेख अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प करेंगे व भविष्य में एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र की दिशा में कदम; ये तीन बातें गाजा का भविष्य तय करने वाली हैं। इजरायल आस-पास के इलाकों पर भी हमास व उनके समर्थन करने वालों पर हमले कर रहा है। सीरियाई अधिकारियों ने कहा कि इजरायल के सैनिकों ने एक गांव में आक्रमण कर, गोलीबारी में अनेक लोगों को मार दिया है। इसके अलावा इजरायल ने हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हमले बढ़ाए हैं। वेस्ट बैंक में अनेक फिलिस्तीनियों को सरेंडर करने के बाद गोली मारने का आरोप लगाया गया है। 
वहीं 'बैथलहम' (Bethlehem) के पास एक गांव में इजरायली सेटलर्स के हमलों में 100 लोग ज़ख्मी हुए हैं। युद्धविराम समझौते के बाद अब लगभग सभी बंधकों या उनके शवों को लूटाया जा चुका है। करीब दो साल तक चले युद्ध के बाद, युद्धविराम के उपरांत भी शांति नहीं हैं। 'ऑक्सफैम' (OXFAM) कब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी इलाके व इज़राइल (OPTI) में क्या करता है? 'ऑक्सफैम' 1950 के दशक से फिलिस्तीन की भूमि पर इस्राइली कब्ज़े में काम कर रहा है व 1980 के दशक में इसका 'कंट्री ऑफिस' बनाया गया था। इज़राइली व फ़िलिस्तीनी पार्टनर ऑर्गनाइज़ेशन के साथ काम करते हुए, 'ऑक्सफैम' का मकसद गाज़ा और वेस्ट बैंक, जिसमें ईस्ट येरुशलम भी शामिल है, में रहने वाले गरीब व पिछड़े फ़िलिस्तीनियों की ज़िंदगी को बेहतर बनाना है।
फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ 'इंटरनेशनल सॉलिडैरिटी डे' में 50 से अधिक राजदूतों ने अपनी सम्वेदना प्रकट की है। फ़िलिस्तीन के लोगों के अधिकारों और सम्मान की वकालत करने में ग्लोबल सपोर्ट व एकता की अहमियत पर ज़ोर दिया गया है। 'देशों के बीच सॉलिडैरिटी' की अहमियत है। फ़िलिस्तीनी लोगों के सामने आने वाले ऐतिहासिक संघर्षों के बारे में ज़्यादा समझ और जागरूकता बढ़ाना अवश्यक है। 
इस इलाके में शांति और न्याय की अहमियत पर चर्चा, कल्चरल लेन-देन व सोच-विचार के लिए राजनयिक कार्य जारी रहना चाहिए। अनेक क्ब्यूरोक्रेट, पॉलिटिकल ज्ञानी, पत्रकार और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट भी शांति समझौते का समर्थन कर रहे हैं। एक्टर-प्रोड्यूसर व म्यूज़िक मेकर, युवराज सिद्धार्थ सिंह ने फ़िलिस्तीन के एम्बेसडर, डॉ. अब्दुल्ला व सलमान खुर्शीद से भेंटवार्ता की। मोरक्को के एम्बेसडर डॉ. महमूद बाल्की ने फिलिस्तीनियों की तकलीफों पर सभी देशों को एकजुट होने का अग्राह्य किया है। 
सारांंशार्थ, कोई भी कारण हो; युद्ध को समाप्त करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय मध्यस्थता अनिवार्य है। अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा 'कैम्प डेविड पीस एकॉर्ड' में, तत्कालीन इजरायली के पीएम शिमोन पेरिस व यासिर अराफात ने हिस्सा लिया था। 
फ़िर भी समस्या का निवारण नहीं हो रहामहै। पूर्व विधि-न्याय, अल्पसंख्यक व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने हिंसा में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "बेशक, कई इज़रायली लोगों ने भी अपनी जान गंवाई है, लेकिन फिर भी फिलिस्तीन के लोगों को उनकी ज़मीन मिलनी ही चाहिए। शान्ति की ओर अग्रसर होना ही मानववाद है"। 
मणिशंकर अय्यर, पीएम राजीव गांधी के पूर्व सलाहकार व कैबिनेट मंत्री ने फिलिस्तीन इजराइल युद्ध विराम को लागू करने के लिए आग्रह किया। वरिष्ट अधिवक्ता प्रमोद कांत सक्सेना ने युद्ध को तुरन्त समाप्त करने का संदेश दिया। फिलिस्तीनी राजदूत को सलमान खुर्शीद का हृदयविदारक संदेश, उनकी सम्वेदनशील व्यक्तित्व का प्रतीक है। मैं फिलिस्तीन व इज़राइल के बीच शांति के लिए प्रार्थना करती हूं। युद्ध का खौफ खत्म हो व फिलिस्तीन-इज़राइल द्वारा शांतिपूर्ण सीज़फ़ायर को लागू करवाना संयुक्तराष्ट्र का अहम कर्तव्य है।
प्रो. नीलम महाजन सिंह (वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, अंतर्राष्ट्रीय सामयिक विशेषज्ञ, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)

singhnofficial@gmail.com

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