फ़र्जी संगठनों द्वारा पीएम मोदी के नाम का दुरुपयोग निंदनीय 
प्रो. नीलम महाजन सिंह 
मेरा परिचय, इस जसिम मोहम्मद से उर्दू के टाइपिस्ट ने करवाया था। 2021-22 मे, यह ठगी कर अनेक वरिष्ठ लोगों को अपने घेरे में ले रहा था। 'नमो स्टडी सेंटर' (Namo Study Centre), जिसे अब 'सेंटर फॉर नरेंद्र मोदी स्टडीज़' (CNMS) कहा जा रहा है, जसीम मोहम्मद द्वारा स्थापित किया गया। हाल ही में इस केंद्र को प्रधान मंत्री कार्यालय से प्राप्त एक शिकायत पर आधारित जांच का सामना करना पड़ा है; जिसमें आरोप लगाया गया है कि जसीम मोहम्मद, नरेंद्र मोदी केंद्र के नाम व सरकारी प्रतीकों का दुरुपयोग कर रहा है, जो नियमों का उल्लंघन है। 
यह आदमी कौन है, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से, बिना अनुमति लिए, 'नमो सेंटर' बनाने का प्रपंच करना पड़ा? इसने प्रो.एच. एन. शर्मा, इंदिरा गांधी सेंटर फॉर आर्ट एंड कल्चरल के अघ्यक्ष, राम बहादुर राय आदि को आमंत्रित कर, दिल्ली में कुछ कार्यक्रमों का  आयोजन किया था। 
शासन, विकास व राष्ट्र निर्माण से संबंधित विषयों पर अनुसंधान, छात्र जुड़ाव व शैक्षणिक संवाद को बढ़ावा देने के नाम पर इसे ज़मीन भी आवंटित हुई और चंदा भी मिलने लगा। जसीम मोहम्मद; इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर से एक चुनाव लड़ कर हार गया था। इस विवाद पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच  कर रही है। इस व्यक्ति पर 'एम्बलमस एंड नेमज़ प्रीवेंशन आफॅ इमपरोपर यूज़ एक्ट: 1950' (Emblems and Names Prevention of Improper Use Act, 1950) के उल्लंघन का आरोप है। 
दुर्भाग्य से इस धारा के तहत सज़ा सिर्फ दो साल और पांच हजार रुपये जुर्माना है।
इस मामले की जांच के लिए सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है और केंद्र के साथ सहयोग करने का आश्वासन दिया है। भाजपा सांसद कंगना रनौत ने इसके केंद्र द्वारा प्रकाशित हिंदी किताब 'राष्ट्र प्रथम: नरेंद्र मोदी' का समर्थन किया है, जिसमें पीएम के भाषण शामिल हैं। कितना अजीब लगता है क्षणयंत्र? जसीम मोहम्मद पर बिना सरकारी अनुमति के प्रधान मंत्री के नाम और सरकारी प्रतीकों का गैरकानूनी रूप से इस्तेमाल कर, कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, सीबीआई ने 24 अक्टूबर 2025 को एक विस्तृत जाँच के बाद एफआईआर दर्ज की है। 
अधिकारियों ने बताया कि ये व्यक्ति, केंद्र व ष्ट्रीय नीति पर शोध करने का दावा करता था और इसकी वेबसाइट पर भाजपा सांसद कंगना रनौत का भी ज़िक्र है। जाँच में पाया गया कि जसीम मोहम्मद ने जनवरी 2021 में (CNMS) सी.एन.एम.एस. को एक ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर्ड करवाया, लेकिन इसके लिए सरकार या पीएमओ से अनुमति नहीं ली गई थी। सीबीआई का कहना है कि केंद्र द्वारा प्रधानमंत्री के नाम व तस्वीरों का इस्तेमाल करने से जनता को यह भ्रम हुआ कि सरकार इस संगठन व व्यक्ति को समर्थन दे रही है। आरोपी जसीम मोहम्मद के व्यापक नेटवर्क व संबंधों की जाँच हो रही है। यह ठगी कर अनेक वरिष्ठ लोगों को अपने घेरे में ले रहा था। 'नमो स्टडी सेंटर' (Namo Study Centre), जिसे अब "सेंटर फॉर नरेंद्र मोदी स्टडीज" (CNMS) कहा जाता है, अलीगढ़ के जसीम मोहम्मद द्वारा स्थापित किया गया। जासीम मोहम्मद, दोधपुर, अलीगढ़ का रहने वाला है। एफआईआर में भाजपा सांसद कंगना रनौत ने इसके केंद्र द्वारा प्रकाशित हिंदी किताब 'राष्ट्र प्रथम: नरेंद्र मोदी' का समर्थन किया है, जिसमें पीएम नरेंद्र  मोदी के भाषण शामिल हैं। प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, सीबीआई ने 24 अक्टूबर 2025 को एक विस्तृत जाँच के बाद एफआईआर दर्ज की है। जाँच में पाया गया कि जसीम मोहम्मद ने जनवरी 2021 में (CNMS) सी.एन.एम.एस. को एक ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर्ड करवाया गया, लेकिन इसके लिए सरकार या (PMO) पीएमओ से अनुमति नहीं ली गई थी। 
आरोपित मोहम्मद के व्यापक नेटवर्क व संबंधों की भी जाँच की जा रही है।आश्चर्य की बात है कि यह फ़र्जी संगठन, राज्य व केंद्र सरकार की नज़रों से कैसे बचा रहा है? इस जसीम मोहम्मद को आर.एस.एस. के 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' अध्यक्ष, डॉ. इंद्रेश कुमार के साथ भी देखा गया था। डॉ. इंद्रेश कुमार सभी समुदायों के लोगों से मिलते हैं, लेकिन यह व्यक्ति इंद्रेश कुमार के सामाजिक समारोहों में अपनी पहुँच का दिखावा करता रहा है। जसीम मोहम्मद न तो कोई उच्च शिक्षित व ना ही कोई महान उपलब्धि प्राप्त व्यक्ति है, परंतु अपने लिए एक प्रचारक है, जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी निकटता दिखाता रहा है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में, जसीम मोहम्मद, ए.एम.यू. छात्रों के साथ घूम-घूम कर उनकी खुशामद करता रहा था। वह खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंध रखने वाला एक भाजपा नेता बताता रहा है। अंततः वह मुश्किल में फंस गया है। 
हालाँकि सीबीआई ने इस जसीम मोहम्मद के खिलाफ़ फआईआर दर्ज कर ली है, फिर भी उसे आज तक गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया? इससे यह गलत संदेश जाता है कि कोई भी बहरूपिया भारत के प्रधानमंत्री का नाम लेकर इस तरह की 'ब्रांडिंग' से होने वाले निजी लाभ से बच सकता है। बहरूपिये जसीम मोहम्मद की चालें आखिरकार पकड़ी गई हैं। उसने एक तरह की 'उर्दू जामिया अकादमी' भी बना रखी है, जिसके ज़रिए वह अपना नाम बनाने के लिए कुछ लोगों को 'डॉक्टरेट' व 'डी.लिट.' (Doctorate & D.Litt.) की डिग्रियां कुछ प्रतिष्ठित हस्तियों को मुफ़्त में बाँटता है। कंगना रनौत, जो पूरी तरह से अशिक्षित है, कैसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों पर एक किताब संपादित की है? 'मोदी नमो सेंटर' एक बड़ा घोटाला लग रहा था, लेकिन सरकार पिछले तीन सालों से इस पर क्यों सो रही थी? 
यह आदमी धोखेबाज़ था, यह मुझे लगभग दो साल पहले ही पता चल गया था जब वह प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में सुबह से शाम तक बैठकर, बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम इस्तेमाल करता रहा। मैं सोच रही था कि ऐसे फ्रॉड लोगों का मीडिया से क्या लेना-देना है? मुझे ज्ञात हुआ है कि जब एक उर्दू अख़बार संकट में था, तो कुछ समय के लिए इसे कार्यवाहक समाचार संपादक बनाया गया था। हालाँकि, उतनी ही फुर्ती से उसे हटा दिया गया था।किसी भी प्रधानमंत्री या गणमान्य व्यक्ति के नाम का, और वह भी वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुमति के बिना, उनके नाम का दुरुपयोग करना आपत्तिजनक है। 
यह वास्तव में दु:खद है कि ऐसे घोटालेबाज़ बेख़ौफ़ घूम रहे हैं, और ईमानदार, मेहनती लोग प्रधानमंत्री कार्यालय की नज़रों से ओझल हैं। चाहे वे हिंदू हों, मुसलमान, सिख या ईसाई, बुद्धिजीवियों का आसान मार्ग नहीं होता। यह और भी शर्मनाक हो जाता है जब फ़र्जी संगठन बनाकर प्रधानमंत्री के नाम का निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अगर जसीम मोहम्मद ने कोई एन.जी.ओ. या संगठन भी बनाया, तो उसके लिए मौजूदा प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुमति लेना अनिवार्य था। कम से कम सरकार तो जागरूक होनी चाहिए। देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय ऐसे धोखेबाज़ों का पर्दाफ़ाश किया जाए। ये उन लोगों के लिए एक बड़ा सबक होना चाहिए जो इस तरह की अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं। सरकार ने सीबीआई के ज़रिए सार्वजनिक घोषणा कर दी है कि ऐसे लोगों से दूर रहें। प्रोफ़ेसर एच. एन. शर्मा को ऐसे लोगों को संरक्षण नहीं देना चाहिए। उम्मीद है कि इस कड़ी कार्यवाही उपरांत, फ़र्जी संगठनों पर अंकुश लगेगा। 
प्रो. नीलम महाजन सिंह 
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, शिक्षाविद, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)
singhnofficial@gmail.com
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