भ्रष्ट पुलिस व्यवस्था ब्रिटिश साम्राज्यवाद के अवशेष: प्रो. नीलम महाजन सिंह

भ्रष्ट पुलिस व्यवस्था ब्रिटिश साम्राज्यवाद के अवशेष 

प्रो. नीलम महाजन सिंह 

हरियाणा में, दो मंगलवार, दो मौत व दो एफआईआर ! क्यों मचला हरियाणा पुलिस में मौत का दंगल-फसाद? वाई. पूरन कुमार, आईपीएस की आत्महत्या के बाद एएसआई संदीप कुमार लाथर ने भी मौत को गले लगाया। क्या यह संयोग है या साज़िश? ब्रिटिश साम्राज्यवाद से आज़ादी के 80 वर्षो बाद भी पुलिस और प्रशासनिक सेवा में 'मालिक-नौकर' जैसा प्रभाव लंबित है। फ़िर घूसखोरी एक ऐसी दीमक है जिसने व्यवस्था को तार-तार कर दिया है। हरियाणा पुलिस के दो अफसरों की मौत ने पूरे सिस्टम को हिला कर रख दिया है। 
07 अक्टूबर को पूरन कुमार, आईपीएस की खुदकुशी के ठीक 7 दिन बाद 14 अक्टूबर को एएसआई संदीप कुमार लाथर ने भी अपनी सर्विस रिवॉल्वर से जान ले ली। दोनों ने अपने सुसाइड नोट में पुलिस महकमे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अतिरिक्त महानिदेशक पूरन कुमार ने तो लगभग सभी उच्च पुलिस व प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के नाम लिख डाले। शेड्यूल-कासट, ट्रााइब ओबीसी होने का लाभ पीड़ी-दर-पीड़ी उठाए गए हैं। फ़िर सभी लाभ उठाने के उपरान्त यह कहना कि जाति सूचक भेदभाव हो रहे हैं, उचित नहीं है। मलाई भी खाओ और मूछें भी पोंछ लो! 
संदीप कुमार ने अपनी जान क्यों ली? वे अपनी स्टेट्समैंट में यह सब आपत्तियों को लिख कर दे सकते थे। सात दिन के अंदर दो पुलिस अफसरों की खुदकुशी के बाद हरियाणा में हड़कंप बड़ी गया है। यह भ्रष्टाचारी व्यव्स्था की दीमक सभी राज्यों की पुलिस में है। दोनों मौतों के बीच संयोग बहुत चौंकाने वाले हैं। मरने से पहले दोनों ने सुसाइड नोट लिखा। दोनों ने अपने महकमे में भ्रष्टाचार व जातिवादी मानसिकता की बात कही। दोनों के आरोप बहुत ही सनसनीखेज हैं। इस मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। संदीप कुमार नौजवान, हिम्मती अधिकारी रहे हैं। आईपीएस पूरन कुमार का जातीय भेदभाव के आरोपों के बीच 9 दिन बाद अंतिम संस्कार हुआ। अमनीत पूरन कुमार आईएएस अधिकारी है। जातिभेद पर खूब राजनीतिक हंगामा हुआ, जो अति दुर्भाग्यपूर्ण है। अपने पति व अपनी हरकतों को ले कर इस महिला को सोचना चाहिए था। पूरन कुमार के परिवार की शर्त थी कि जब तक उनके पति की मौत के लिए ज़िम्मेदार, डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर व रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजराणिया को गिरफ़्तार नहीं किया जाता, तब तक न पोस्टमार्टम होगा, न अंतिम संस्कार। 
इस मामले में जमकर दुर्भाग्यपूर्ण सियासत हुई। इसी बीच 14 अक्टूबर को रोहतक साइबर सेल में तैनात एएसआई संदीप कुमार ने अपने मामा के घर के अंदर खुद को गोली मार ली। उनके पास से 4 पन्नों का सुसाइड नोट और 6 मिनट 28 सेकंड का वीडियो बरामद हुआ, जो वायरल हो चुका है। एसआई संदीप कुमार ने अतिरिक्त महानिदेशक पर रिश्वतखोरी, यौन शोषण, यातना देने, जैसे आरोप लगाये हैं। पूरन कुमार की ख़ुदकुशी के उपरान्त, ओम प्रकाश सिंह, आईपीएस को हरियाणा पुलिस महानिदेशक का भार सौंपा गया। शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज कर, उनको बलि का बकरा बनाया गया। 
झूठे एनकाउंटर, साप्ताहिक रिश्वत, थर्ड डिग्री टॉर्चर, मानवाधिकार अधिकारों का उल्लंघन, झूठे एफआईआर, आदि ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं। भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं। दोनों पुलिस अधिकारियों ने अपने सुसाइड नोट का शीर्षक 'फाइनल नोट' रखा। वीडियो में संदीप कुमार ने सीधे पूरन कुमार व उसक परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वीडियो में वे कहते हैं, ''मैं भगत सिंह का भक्त हूं। ये लड़ाई अधूरी नहीं छोड़ी जाएगी। अगले जन्म में भी इसे पूरा करूंगा।'' उन्होंने पूरन कुमार और उनके परिवार की संपत्ति की जांच की मांग की है। अब अमनीत कुमार और उसके भाई पर भी प्राथमिकी दर्ज हो गई है। यह भी सच है कि पूरन कुमार ने ग़ैर कानूनी संपति अर्जित की है। 
उस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि पूरन कुमार ने विभाग के अंदर कई ईमानदार अफसरों को फंसाया। संदीप वही अफसर थे, जिन्होंने पूरन कुमार के करीबी हेड कांस्टेबल सुशील कुमार की गिरफ़्तारी में अहम भूमिका निभाई थी। पूरन कुमार का नाम हाल ही में एक रिश्वतखोरी मामले में भी सामने आया था। रोहतक के एक शराब-ठेकेदार ने उन पर वसूली व 2.5 लाख रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। पूरन कुमार ने मरने से पहले 8 पन्नों के नोट में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजराणिया व 15 वरिष्ठ आईपीएस-आईएएस अफसरों को अपनी मौत का ज़िम्मेदार बताया था। अजब बात है? उसने लिखा कि जातिगत भेदभाव व मानसिक उत्पीड़न ने उसे तोड़ दिया था। 
यानी एक आत्महत्या का जवाब दूसरी आत्महत्या से दिया गया है। ओ.पी. सिंह बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के जीजा हैं। पूरन कुमार की मौत की जांच के लिए छह सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया है. सवाल अब यह है कि क्या संदीप कुमार की मौत पर भी आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज होने के उपरांत उन्हें न्याय मिलेगा? क्यों संदीप ने अपनी जान दे दी? यह घटना हरियाणा में तनाव बढ़ा रही है, खासकर जब पूरन कुमार की मौत के बाद से दलित समुदाय विरोध कर रहा है व अब संदीप कुमार के जाट समुदाय में भी गुस्सा है। पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी है और समुदाय के नेताओं से संपर्क में है। यह घटना राज्य में एक संवेदनशील स्थिति पैदा कर रही है। सारांशार्थ, जब तक जातिवादी मानसिकता, रिजर्वेशन आदि रहेगा, इस प्रकार की गुटबाजी स्वाभाविक है। दो परिवारों की पत्नियां विधवा हो गईं और बच्चों ने अपने पिता को खो डाले। पुलिस अधिकारियों को इस प्रकार अपने जीवन की आहुति नहीं देनी चाहिए। जीवित रह कर ही तो व्यवस्था की दीमक को समाप्त करने का प्रयास किया जा सकता है। ज़िंदगी और मौत दोनों ही पिस्तौल की गोली से चली। गृह मंत्री अमित शाह को सभी राज्यों के पुलिस डायरेक्टर जर्नलों व पुलिस कमीश्नरों की समन्वय मीटिंग में इस मुद्दे को लेकर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
प्रो. नीलम महाजन सिंह 
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, मानवाधिकार संरक्षण सॉलिसिटर व परोपकारक)

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