मनुवादी दृष्टिकोण, महिलाओं के मर्डर व असंबद्ध
समाज
• प्रो. नीलम महाजन सिंह •
"सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।। या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। एक ओर तो महिला को देवी आराध्या दुर्गा स्वरूपा माना जाता है व दूसरी ओर उसे तिरस्कृत किया जा रहा है। पत्थरों की मूर्तियों में देवी की पूजा की जाती है, परन्तु जीवित नारियों को असुरक्षा का भय है व उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है। नारी हत्या, वही कर रहे हैं, जो नारी को देवी मानते हैं।
पिछले 35 वर्षो से, मैं नारी सुरक्षा व सशक्तिकरण के प्रति कार्यरत हूं। आज के आधुनिक युग में भी नारी की स्थिति निर्बल व फ़ौकी है। मन उदास, आहत व विचलित है। बीते सप्ताह गुरुग्राम मे हुए 'राधिका यादव हत्याकांड' ने एक बार फिर सभी को शोकाकुल किया है। पिता दीपक यादव ने अपनी 25 साल की बेटी को गोलियों से भून दिया। फ़िर अपने भाई विजय से बोला, "भाई मैंने कन्या वध कर दिया है, मुझे फांसी दिलवाओ"! अलविदा - राधिका यादव।
राधिका यादव के ताऊ, विजय यादव ने इस हत्याकांड को लेकर मीडिया से बात के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंनेे बताया कि जब उन्हें गोलियां चलने की आवाज़ सुनाई दी तो वे दौड़कर ऊपर गये, वहां उन्होंने दीपक को रोते हुए देखा। विजय ने बताया कि मुझे डर था कि कहीं दीपक खुदको भी गोली ना मार ले। दीपक लगातार मुझसे कह रहा था कि भाई मेरे खिलाफ ऐसी (FIR) एफआईआर कराओ कि मुझे फांसी की सज़ा मिले। वो तो मिलेगी ही मासूम बेटी के हत्यारे! राधिका की सहेली हिमांशिका सिंह राजपूत ने (Instagram) इंसटाग्राम पोस्ट में कहा है कि उसे नहीं लगा था कि वह इस बारे में इतनी जल्दी करेंगी। हिमांशिका ने लिखा है, "राधिका के पापा उसे बहुत कंट्रोल करते थे। उसे तस्वीर खिंचवाना, वीडियो बनाना पसंद था, लेकिन सब धीरे-धीरे बंद हो गया व उसकी आज़दी उन्हें नागवार थी। राधिका खुलकर जीना चाहती थी, लेकिन वो कहती थी उसके परिवार में बहुत रेस्ट्रिक्शन हैं। वो खुलकर हंसती थी लेकिन अपने ही घर में उसका दम घुटता था। उसका खुद पर कोई कंट्रोल नहीं था व ऐसे में कौन जिंदा रहना चाहेगा? हर चीज़ के बारे में सफाई देते रहो कि क्या कर रहे हो"?
दीपक यादव ने अपनी बेटी की हत्या का ज़ुर्म कुबूल कर लिया है। पुलिस ने बताया था कि राधिका यादव एक टेनिस अकादमी चलाती थी, जो उसके व उसके पिता के बीच विवाद का कारण बन गई थी क्योंकि उसके पिता को अक्सर अपनी बेटी की कमाई पर गुज़ारा करने के लिए ताने मारे जाते थे। लव जिहाद के आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया गया है।
महिलाओं की बलि चढ़ती रहेगी, क्योंकि भारत में पिता, भाई, पति व पुत्र ही महिलाओं को कंट्रोल करते हैं। दो वर्ष पूर्व देव-भूमि उत्तराखंड में 19 वर्षीय युवती, अंकिता भंडारी की निर्मम हत्या के उपरान्त, महिला सुरक्षा का मुद्दा सुर्खियों में आया था। क्या मानवता पूर्णत: नष्ट हो चुकी है? मैं, महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दों पर, उनकी सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक सक्षमता के लिए प्रतिबद्ध हूँ। जितनी अंकिता की आयु है, तभी से मैं महिला सशक्तिकरण का शंखनाद बजा रही हूँ। यह लेख पार्टी लाइनों से ऊपर है; पूरी तरह से गैर राजनीतिक। हिंदू धर्म में प्राचीन शास्त्रों; वेदों व उपनिषदों में नारी को पवित्रतम स्थान दिया गया है। परन्तु राजनैतिक व सामाजिक नक्शे में क्यों इतना तूफान आया हुआ है? क्योंकि महिलाओं की गरिमा पर चर्चा हो रही है! पुरुष क्यों सोचते हैं कि वे कानून से ऊपर हैं? जीवन: दोधारी तलवार की तरह क्यों है?
हालांकि यह सच है कि भारत में महिलाएँ ऊंचाईयों को प्राप्त कर रही हैं व वैश्विक स्तर पर अभी तक भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय व राज्यों के उच्च न्यायालयों के निर्णयों में महिलाओं के संरक्षण व सशक्तिकरण के लिये फैसले हुए हैं, परंतु धरातल पर इतनी बाधाएं क्यों आ रही हैं? समाज की यह चुप्पी उचित नहीं है। भोपाल की सुषमा सिंह का मामला, जब उन्हें मगरमच्छों की झील में फेंक दिया गया।
शकीरे नमाज़ी खलीली, एक रियल एस्टेट डेवलपर थीं, जो 1991 में लापता हो गईं। मुख्य संदिग्ध उनका ढोंगी दूसरा पति, स्वामी श्रद्धानदा था, जिसका मूल नाम 'मुरली मनोहर मिश्रा' था। एक स्टिंग ऑपरेशन द्वारा; तीन साल के बाद, कर्नाटक पुलिस बल को उससे हत्या की बात स्वीकार, हो गई और वे 1994 में पुलिस को शकीरे नमाज़ी खलीली के, आवास में दफनाए गए अवशेषों तक ले गया। वह जेल में आजीवन कारावास में सज़ा काट कर रिहा हो चुका है। राजदूत अकबर मिर्ज़ा खालिली, I.F.S आईएफएस. की पत्नी, शकीरे खलीली, 4 बेटियों के बाद, बेटे की इच्छुक थीं। वे इस तांत्रिक के जाल में फंस गईं!
फ़िर 'निर्भया कांड'; ज्योति सिंह मर्डर केस के दरिंदों को तो फांसी मिल चुकी है। निश्चित रूप से मनु शर्मा द्वारा जेसिका लाल की हत्या के मामले ने तो सनसनी फैलाई थी। राजनेता विनोद शर्मा का बेटा होने के नाते उसकी सज़ा पूरी भी नहीं हुई परंतु 'अच्छे व्यवहार' के कारण उसे रिहा कर दिया गया। अब मनु शर्मा चंडीगढ़ में रहता है। नैना साहनी की हत्या 2 जुलाई 1995 को की गई। यह हत्याकांड 'तंदूर कांड' के नाम से चर्चित हुआ।
नैना साहनी के पति, सुशील शर्मा, जो कांग्रेसी नेता था, ने ही उनकी हत्या की थी। सुशील शर्मा ने अपनी पत्नी नैना को टुकड़ों में काटा व एक प्लास्टिक की थैली में ले गया। 'अशोक यात्री निवास के तंदूर में उसे भून दिया'! सुशील शर्मा भी कानूनी सज़ा पूरी कर आज़ादी से घूम रहा है। ये अपराधी तो जिंदा हैं, पर बेटियों को मारा जा रहा है। यह हृद्यविदारक लेख को लिखते समय मुझे ह्रदय-दर्द व घबराहट हो रही है। 26 साल पहले हुए एक खौफनाक कांड में, पुलिस अफसर के बेटे, सुशील कुमार सिंह ने प्रियदर्शिनी मट्टू का रेप व मर्डर किया था। आम जन का पुलिस व कानून से भरोसा हटने लगा है। प्रियदर्शनी मट्टू के पिता, सी.एल. मट्टू ने यह न्यायिक युद्ध लड़ा। अब सुशील सिंह भी आज़ाद हो चुका है। उत्तर प्रदेश के अमर मणि त्रिपाठी व मधुमिता शुक्ला का प्रसंग; रौंकटे खड़े कर देने वाला है। मधुमिता शुक्ला को गर्भवती करने की कहानी ने सुर्खियां बटोरीं। त्रिपाठी पति-पत्नी ने उसे षडयंत्रपूर्ण मार डाला व अब आजीवन कारावास काट रहे हैं।
भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे, पुलकित आर्य के निजी रिसॉर्ट; 'अनंतरा' के परिसर से लापता हुई, अंकिता भंडारी का शव पुलिस को चिल्ला बिजलीघर के पास मिला। पुलकित आर्य को आजीवन कारावास की सज़ा हुई है, जब कि उसे सज़ा-ए-मौत दी जानी चाहिए थी। महिलाओं की हत्या व उनके साथ दरिंदगी की हद पार हो गई है।
सरला मिश्रा, कॉंग्रेसी दिग्विजय सिंह की अनुयायी थी। भोपाल में उसे आग में जला कर मार दिया गया था। सरला मिश्रा की आत्म हत्या या मर्डर का रहस्य जारी है। जस्टिस ऐ. एन. वर्मा कमिटी रिपोर्ट के आधार पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून तो पारित हो गये हैं, परन्तु धरातल पर वे कार्यान्वित नहीं किये जाते।
जब तक पुरुष प्रधान समाज से 'मनुवादी फ्यूडल विचार धारा' को ध्वस्त नहीं किया जाएगा, तब तक इसी प्रकार महिलाओं के साथ अपराध होते रहेगें। 'नारी का सम्मान', 'लाडली', 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ', 'बेटियाँ हमारी गौरव' जैसे प्रोग्रेसिव - विचार; अक्षर मात्र ही हैं। मनुवादी दृष्टिकोण, महिलाओं के मर्डर व असंबद्ध समाज ही महिलाओं का हत्यारा है। ज़रा सोचिये आप के घर में भी बच्चियां होंगीं? कृप्या उन्हें सुरक्षित रखें, गोलियों से मत भूनिये।
प्रो. नीलम महाजन सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार, विचारक, राजनैतिक समीक्षक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)
singhnofficial@gmail.com
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