भारत का विश्व को वसुदेव कुटुम्बकम का संदेश • प्रो: नीलम महाजन सिंह •

भारत का विश्व को वसुदेव कुटुम्बकम का संदेश 
• प्रो: नीलम महाजन सिंह •
☆सी यू इन ब्राज़ील, जी-20 2024! भारत ने जी-20 का सफल आयोजन कर पूरी दुनिया का ध्यानाकर्षित किया है। कुल 10 महीने के अंदर देशभर के 60 शहरों में जी-20 की 200 से अधिक बैठकें हुईं। हर्श वर्धन श्रृंगला, आईएफएस, पूर्व विदेश सचिव व जी-20 के प्रमुख कोआर्डिनेटर ने, विदेश-मंत्रालय व डा: एस जयशंकर, विदेश मंत्री के अगम्य परिश्रम से, इस सम्मेलन को एतिहासिक बना दिया। इसके आखिरी चरण में 9 -10 सितंबर को सभी राष्ट्र-प्रमुख दिल्ली में मिले और वैश्विक मसलों पर मंथन किया व चुनौतियों से एक साथ निपटने का संकल्प लिया। 2023 के इस आयोजन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के साथ समाप्त किया गया। सभी देशों ने भारत की अध्यक्षता व मेहमान-नवाज़ी की तारीफ की व शुक्रिया कहा। नई दिल्ली जी-20 का 18वां समिट ऐतिहासिक हो गया। भारत ने संयुक्त घोषणा पत्र पर दुनिया के दिग्गजों के बीच न सिर्फ सहमति बनवाई, बल्कि पुराने मित्र रूस से दोस्ती भी निभाई व यूक्रेन युद्ध में रूस के नाम का ज़िक्र तक नहीं होने दिया। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। भारत ने जी-20 के बहाने पूरी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करवाया है। भारत को नवंबर 2022 में इंडोनेशिया के बाली शहर में जी-20 की प्रेसीडेंसी सौंपी गई थी। तब पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लिए गर्व की बात बताया था व कहा था, कि भारत की जी-20 अध्यक्षता 'एक्शन ओरिएंटेड' होगी। भारत को जी-20 की अध्यक्षता की ज़िम्मेदारी ऐसे समय पर सौंपी गई, जब पूरा विश्व आर्थिक चुनौतियों, जियो पॉलिटिक्स संघर्ष व कोरोना जैसी महामारी से उबर रहा है। ऐसे वक्त में पूरा विश्व जी-20 की ओर उम्मीदों की नज़रों से देख रहा था। भारत ने इस सम्मेलन के जरिए दुनिया को आशान्वित किया है। इस सम्मेलन ने युद्ध की बजाय शांति व सौहार्द्र का संदेश दिया है। ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने व्लादिमीर पुतिन के समर्थन में ब्यान दिया। 
पीएम मोदी ने कहा, भारत की जी-20 अध्यक्षता देश के भीतर व देश के बाहर समावेशी व 'सबका साथ, सब का विकास' की प्रतीक बन गई है। इनमें बिज़नेस-20 (B-20), कल्चर-20 (C-20), एनवायरनमेंट-20 (A-20) जैसे विषयों पर बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में हर क्षेत्र से जुड़े विषयों को रखा गया व समस्या और समाधानों पर चर्चा की गई। जी-20 की प्राथमिकताओं को देश के हर हिस्से में ले जाया गया व प्रेसीडेंसी को अपनी तरह की एक नई परिभाषा दी गई। इनमें योग, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा खास तौर पर खाने का मेन्यू भी शामिल रहा। भारत ने 'टायर टू शहरों' में भी जी-20 की बैठकें आयोजित करवाईं, जिससे आम लोगों में यह चर्चा हुई व सम्मेलन को लेकर जनमानस को देश के प्रति गौरव का एहसास हुआ। दुनिया के सामने भारत की विविधता और विस्तार को प्रदर्शन हुआ। देश में 1.5 करोड़ से ज़्यादा लोग इन कार्यक्रमों में शामिल हुए या इनके विभिन्न पहलुओं से अवगत हुए। हाल ही में यह बात खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कही थी। इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स, क्म्युनिकेशन स्किल, हॉस्पिटैलिटी और सांस्कृतिक गतिविधियों के मामले में भारत ने क्षमता निर्माण किया है। जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा, इस सम्मेलन में 29 विशेष आमंत्रित देशों और 11 अंतराष्ट्रीय संस्थाओं ने हिस्सा लिया। 'वन फैमिली, वन अर्थ, वन फ्यूचर' इस सम्मेलन की थीम था। 
इसके पहले दिन ही साझा घोषणा पत्र जारी करने पर सभी देशों में सहमति बन गई, जो भारत के लिए एक चुनौतीभरा काम था। भारत ने जी-20 समिट में स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बांग्लादेश, मिस्र, नीदरलैंड, मॉरीशस, नाइजीरिया और सिंगापुर को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर आमंत्रित किया गया। भारत ने 54 देशों के अफ्रीकी संघ (AU) को जी-20 में शामिल करने का प्रस्ताव रखा और सभी देशों की सहमति बनवाकर अपनी कूटनीतिक जीत का परिचय दिया। जब अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल करने की भारत ने पहली बार पहल की थी, तब अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष को भी इस प्रस्ताव पर सभी की सहमति मिलने की उम्मीद नहीं थी। अब तक जी-20 की बैठकें दुनिया के बड़े-बड़े समृद्ध देशों ने अपने दो से ज़्यादा शहरों में कभी नहीं करवाईं। मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत अन्य वैश्विक नेताओं के साथ 16 द्विपक्षीय बैठकें की। इनमें ब्राजील, तुर्की, जर्मनी, यूरोपीय परिषद, कुमरोस, कोरिया, नाइजीरिया, नीदरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान, अमेरिका, मॉरीशस, बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष से आमने-सामने बैठकर बातचीत की। भारत ने जी-20 में 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी 'सारा संसार, एक परिवार' का संदेश दिया। जी-20 की बैठकों में वैश्विक आर्थिक विकास, वित्तीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन व अन्य वैश्विक चुनौतियों पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई। पूरे विश्व को अहिंसा व शांति का संदेश दिया गया। जी-20 घोषणा पत्र पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों की एक टीम को 200 घंटे से ज्यादा की लगातार बातचीत करनी पड़ी। जी-20 का सबसे जटिल हिस्सा भू-राजनीतिक पैरा (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था। राजनयिकों की टीम ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं। जी-20 नेताओं की घोषणा में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का उल्लेख करने से परहेज किया गया। सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का आह्वान किया गया. घोषणा पत्र में कहा गया, 'हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली समेत अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं। नई दिल्ली जी-20 घोषणा पत्र में सभी देशों ने किसी भी तरह के आतंकवाद की निंदा की है। पवित्र ग्रंथों के खिलाफ हिंसा जैसे धार्मिक घृणा के मामलों को समाप्त करने की बात भी कही गई। दुनिया में तेज़ी से विकास करने वाले शहरों को फंड दिया जाएगा। भारत की पहल पर 'वन फ्यूचर अलायंस' बनाया जाएगा। ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस की शुरुआत की गई है। इस अलायंस में भारत, अमेरिका व ब्राज़ील होंगें। इन दोनों देशों की एथेनॉल उत्पादन में अहम भूमिका है। इसका समर्थन विश्व आर्थिक मंच, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी जैसे संगठन भी करेंगे। ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर ज़ोर दिया जाएगा। क्रिप्टो करंसी पर ग्लोबल पॉलिसी बनाने की दिशा में बातचीत की जाएगी। भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनोमिक कॉरिडोर का ऐलान किया गया है। इसमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका को शामिल किया गया है। 
इस कॉरिडोर के जरिये शिपिंग व रेलवे लिंक समेत कनेक्टिविटी व बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर एक ऐतिहासिक पहल की गई है। जी-20 की अगली बैठक 2024 में ब्राज़ील के शहर, रियो-डी-जेनेरियो में होगी।प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राज़ीला के राष्ट्रपति लूला को जी-20 की अध्यक्षता ट्रांसफर की व पारंपरिक गैवल (एक प्रकार का हथौड़ा) सौंपा। ब्राज़ील आधिकारिक रूप से इस साल एक दिसंबर को जी-20 के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेगा। इस ग्रुप ऑफ ट्वेंटी में एक और देश शामिल हो गया है। भारत के प्रस्ताव पर नई दिल्ली में अफ्रीकन यूनियन को भी इस ग्रुप में शामिल किया गया है। ऐसे में यह जी-21 हो गया है। रियो-डी-जेनेरियो में इसे 'जी-21' नाम दिया जाएगा। पीएम मोदी ने कहा, "युद्धों ने विश्वास की कमी को और गहराई दी है। हम सब मिलकर ग्लोबल ट्रस्ट डेफिसिट को एक विश्वास और एक भरोसे में बदलेंगें। ये समय सबको साथ मिलकर चलने का है"। कुछ अन्य ज्वलंत समस्याएं विश्व के सामने हैं, जो सभी देशों के वर्तमान और भविष्य दोनों को प्रभावित कर रही हैं। साइबर सिक्योरिटी व क्रिप्टो करंसी, की चुनौतियों से हम परिचित हैं। इसे रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड्स डिवेलप करने होंगें। साइबर सिक्योरिटी के लिए भी वैश्विक सहयोग व फ्रेमवर्क की जरूरत है। साइबर जगत से आतंकवाद को नए माध्यम, फंडिंग के नए तौर-तरीके मिल रहे हैं। ये हर देश की सुरक्षा व समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है। विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों। सारांशार्थ यह स्वीकार करना होगा कि दिल्ली-2023 जी-20 ने विश्व को शांति, मित्रता, सद्भाव, महिला सशक्तिकरण, मानवाधिकार संरक्षण, आर्थिक विकास व सामाजिक विकास का संदेश लेकर 2024 को ब्राज़ील में मिलने की उम्मीद को सकारात्मक संदेश दिया है।
• प्रो: नीलम महाजन सिंह •
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, अंतरराष्ट्रीय सामयिक विशेषज्ञ, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स व परोपकारक)
singhnofficial@gmail.com

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