नवनिर्मित संसद भवन आत्मसम्मान का प्रतीक: नीलम महाजन सिंह

नवीन संसद भवन आत्मनिर्भर लोकतंत्र का प्रतीक 
• प्रो: नीलम महाजन सिंह •
☆28 मई 3023 को संसद की नई इमारत को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अनावृत कर देश को समर्पित किया। श्रृंगेरी मठ से सीताराम शर्मा, राम शर्मा व लक्ष्मीश तांत्री और दिल्ली शाखा मठ से नरगजा अडिगा, ऋष्यशृंग भट्ट ने पाठ किया। उद्घाटन से पहले उनके द्वारा वास्तुहोम और वास्तु पूजा की गई। रविवार को ही महागणपति यज्ञ हुआ। 'मदुराई अधिना' के मुख्य पुजारी ने प्रधान मंत्री को 'सेंगोल' भेंट किया है जिसे नवीन इमारत में रखा गया है। अच्छा होता यदि संसद भवन की नवीन इमारत में सर्व राजनीतिक दल हिस्सा लेते। परन्तु ऐसा नहीं हुआ। संविधान की प्रस्तावना का पहला ध्येय वाक्य ऐसा है, जिसके आधार पर हमारे संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य की स्थापना हुई है। भारत के 76 वर्षों की आज़दी के उपरांत, नवीन ससंद भवन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनावृत्त किया। 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष, ओम बिड़ला के साथ नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित किया। यह देश के लोकतांत्रिक इतिहास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां भारत की संसदीय प्रणाली की शक्ति का प्रतिनिधित्व होता है। यह अधिकतर लोगों को ज्ञात नहीं है कि नवीन संसद भवन क्यों बनाया जा रहा है? 1911 में 'ब्रिटिश इंपीरियल सरकार व वाइसरीगल प्रशासन' ने निर्धारित किया था कि ब्रिटेन, भारतीय साम्राज्य की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर रहा है। 'ब्रिटिश राज' ने नए शहर के निर्माण के लिए विधिवत रूप से, सर एडविन लुटियंज़ को यह महत्वपूर्ण कार्य दिया। एडविन लुटियंज़ ने एक 'औपचारिक धुरी' के आसपास केंद्रित, आधुनिक शहर की कल्पना की, जिसे 'राजपथ' कहा जाता है। लुटियंंज़, वाइसरीगल महल से दिल्ली शहर का विहंगम दृश्य देखना चाहते थे। नतीजतन, 'रायसीना हिल', राजपथ व इंडिया गेट का निर्माण हुआ। अब इसे 'कर्त्तव्य पथ' के नाम से जाना जाता है। 'राजपथ' के आसपास की अधिकांश इमारतों को एडविन लुटियंंज़ व सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिज़इन किया गया था। इसमें सरकार की योजना बनाना, सुरक्षा की व्यवस्था व पूरे आयोजन की तैयारी की देखरेख करना शामिल है। उद्घाटन समारोह में विविध व्यक्तियों की उपस्थिति, देश के लोकतांत्रिक लोकाचार व राजनीतिक प्रतिनिधियों के बीच सहयोग की भावना को प्रदर्शित करता है। यह सभी पार्टियों के नेताओं को एक साथ आने, अपने मतभेदों को दूर करने और राष्ट्र की नींव बनाने वाली लोकतांत्रिक संस्थाओं का जश्न मनाने का अवसर है।नया संसद भवन भारत के लिए गर्वव पूर्ण व महत्वपूर्ण क्षण है। यह देश की प्रगति, लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता व राजनीतिक संस्थानों की ताकत का प्रतिनिधित्व करता है। नए संसद भवन के उद्घाटन में सभी प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों के साथ, संसद सदस्यों व महत्वपूर्ण नेताओं को आमंत्रित किया गया। सचिवों की भागीदारी इस बात को महत्व देती है कि सरकारी नीतियां को लागू करने की भूमिका, में ये लोग सरकार का संचालन करते हैं। नए संसद भवन के मुख्य वास्तुकार; बिमल पटेल और उद्योगपति रतन टाटा ने इस अवसर में भाग लिया। कई उल्लेखनीय व्यक्तियों, फिल्मी सितारों व खिलाड़ियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। भारत के पास 1927 से मौजूदा संसद भवन है, जो अत्याधुनिक वास्तुशिल्प चमत्कार के रूप में खड़ा है। जैसा कि भारत में वर्तमान संसद भवन के अस्तित्व को एक सदी हो गई है, नवनिर्मित संसद भवन इतिहास में उत्कृष्ट योगदान है। सरकार ने लोकसभा व राज्यसभा में संसद सदस्यों के बैठने की बेहतर व्यवस्था की है। 
यह महत्वपूर्ण 'मील का पत्थर' है। पुराने संसद भवन में गोलाकार डिज़ाइन का प्रदर्शन है, जबकि नए संसद भवन को त्रिभुज आकार में वास्तुशिल्पीय रूप से तैयार किया गया है। वर्तमान में, लोकसभा में 590 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है, जबकि राज्यसभा में 280 सदस्य बैठ सकते हैं। नए संसद भवन की लोकसभा में 888 सीटें हैं, जिससे क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अलावा, दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के दौरान, संसद के 1,272 से अधिक सदस्य लोकसभा कक्ष के भीतर रह सकते हैं। संसद की नई इमारत में 336 से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था, आगंतुक दीर्घा में की गई है। इससे पर्यवेक्षकों और मेहमानों के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध होगी नए संसद भवन में 'कैफे', भोजन क्षेत्र व समिति बैठक कक्षों में अत्याधुनिक उपकरण हैं। सांसदों और गणमान्य व्यक्तियों की विविध आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए 'कॉमन रूम', महिला लाउंज और वीआईपी लाउंज को शामिल किया गया है। नए संसद भवन का प्रमुख आकर्षण; इसके केंद्र में स्थित कॉन्स्टीट्यूशन हॉल है। कांस्टीट्यूशन हॉल के शीर्ष पर अशोक स्तंभ है, जो भारतीय विरासत का प्रतीक है। संविधान की एक प्रति इस हॉल के भीतर सुरक्षित रखी जाएगी। संसद भवन की भव्यता को बढ़ाने के लिए, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों जैसे श्रद्धेय व्यक्तियों के चित्र नए संसद भवन के हॉल की शोभा बढ़ाते हैं। नई संसद का निर्माण, केंद्र सरकार की 'सेंट्रल विस्टा' परियोजना का महत्वपूर्ण घटक है। 
15 जनवरी, 2021 को शुरू होने वाली निर्माण प्रक्रिया को सितंबर 2020 में दिए गए टेंडर के माध्यम से 'टाटा प्रोजेक्ट्स' को सौंपा गया था। नए संसद भवन के डिज़ाइन के दूरदर्शी वास्तुकार बिमल पटेल को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए 2019 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। सारांशार्थ यह कहना उपर्युक्त होगा कि विपक्षी दलों को इस एतिहासिक पर्व को भारतीय संस्कृति, लोकतन्त्र व प्रजातंत्र का उत्सव मान कर हिस्सा लेना चाहिए था। लाखों हाथों की मेहनत को सलाम! अब विपक्ष की मुहिम, कि महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, संसद भवन का उद्घाटन नहीं कर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्यों किया, मात्र राजनीतिक तकरार ही है। इस मुद्दे की चर्चा तो हो सकती है परंतु, उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करना प्रजातांत्रिक व्यवस्था का अपमान है। सच तो यह है कि इतिहास को पीछे नहीं धकेला जा सकता। 'सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट' के अंतर्गत अनेक मंज़िलों व लुटियंज़ ज़ोन का कायाकल्प हो रहा है। यह मुबारक पर्व तभी कामयाब होगा, जब भारतीय जनमानस को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक विकास की ओर अग्रसर कर आत्मनिर्भरता की और सशक्त किया जाएगा। अब राजतंत्र बेनाम प्रजातंत्र की बहस शुरू हो चुकी है तथा विरोधियों का प्रहार जारी है। हिन्दुत्व का विशाल स्वरूप, सर्वधर्म प्रार्थना के साथ, प्रजातंत्र के मंदिर में स्पष्ट नज़र आया। जय हिंद। 
प्रो: नीलम महाजन सिंह 
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक समीक्षक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर व परोपकारक)
singhnofficial@gmail.com

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