'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' #BetiBachaoBetiPatao #metoomovement
Neelam Mahajan Singh Professor
कृप्या सभी जन, कुछ समय निकाल कर पूरा लेख पढ़िए।
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☆ क्या आप इस आदमी को पहचानते हैं? हाँ ये हैं मेरे पोस्ट के मुरली मनोहर जोशी। #METOO जिसमें दो दशक पहले उन्होंने मुझ पर बेरहमी से हमला किया था! उसके पी.ए. तरुण मिश्रा गवाह थे लेकिन वह पूडल ही था!
89 साल के MMJ को इस हालत में देखकर मुझे तरस आ रहा है!वह अब चलने में भी असमर्थ है! उसके दोनों घुटने बदल दिये गये थे! वही पैर, जो मेरे पेट में लात मारते थे ! मेरी नसों और आंतों के फटने से मुझे आंतरिक रक्तस्राव हुआ था!
स्थान: 24 रकाबगंज रोड, नई दिल्ली: 110001
#letthetruthprevail #METOOneelam4justice #satymevjayatey #MurliManoharJoshi
आखिरकार तुम मेरी आँखों से आँख मिला कर कभी नहीं देख सकते! यह जीवन है! जीवन के बाद जीवन की प्रतीक्षा करें! यह एक जीवन में समाप्त नहीं होता है! मेरी आत्मा भी तुम्हे कभी क्षमा नहीं करेगी मुरली मनोहर जोशी।
#नीलम_महाजन_सिंह
कैसे #METOO आंदोलन, भारतीय अध्याय में, महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना! जिन्होंने इस तरह भावनात्मक रूप से पीड़ादायक अनुभव दिये हैं, वे कटघरे में आये?
पी.एम. के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के आह्वान पर अपराध किसने किये ? क्या प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को इन जख्मों का ज्ञान है ? ऐसे पौंगों को कभी क्षमा नहीं किया जाना चाहिए।
दोस्तों; डेढ़ दशक से अधिक समय से, मैं अज्ञातवास; यानी गुमनामी में रह रही हूँ। जब #metoomovement शुरू हुई, तो मैं बहुत खुश थी! यह बुलबुला है या सार्थक आंदोलन? मुझे सच बोलना चाहिए या नहीं ? खैर, यह तथ्य कि महिलाओं ने, शोषकों, उत्पीड़कों, शक्तिशाली पुरुषों, राजनेताओं, निर्णय-निर्माताओं को बेनकाब करने का फैसला किया। इससे यह स्पष्ट है कि #METOO ने हमारे कानूनों, पुलिस प्रणाली की सामूहिक विफलता को प्रदर्शित किया है। विशेष रूप से धुंधला न्यायिक निवारण, महिलाओं को सुरक्षा देने में असमर्थ रहा है।समाज में महिलाओं का दमन और शोषण एक कड़वा सच है ! #METOO ने एक ऐतिहासिक, सामाजिक जिम्मेदारी निभाई है। इस पुनरुत्थान के कोई कानूनी परिणाम नहीं हैं। सबसे पहले यह कहा जा सकता है कि कोई भी पुरुष या महिला नहीं चाहते कि उनके नाम या गोपनीयता पर आक्रमण किया जाए। इसके अलावा, यह नारीवाद के बारे में नहीं है। लिंग समानता सभी के लिए मौलिक है। मैं अपने उन सभी भाइयों का समर्थन करती हूँ जिनका शिकारियों द्वारा शारीरिक या मानसिक रूप से शोषण किया गया है! #METOO पुरुषों और महिलाओं के लिए समान है। मैं वास्तव में लैंगिक और सभी के साथ न्यायिक समानता में विश्वास करती हूं। अगर किसी पुरुष को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया है, तो उसे भी #METOO पर आवाज़ उठाने का अधिकार है। न्याय की गुहार में मैं उनका समर्थन करूंगीं।
आप मुझे यहां संपर्क कर सकते हैं:
singhnofficial@gmail.com
TARANA BURKE, WHO STARTED #METOO MOVEMENT IN USA 🇺🇸
मेरे स्वयं-बीता वास्तविक घटनाक्रम:-
1. मेरा पहला ब्रश दो शक्तिशाली पत्रकारों के साथ 21 साल की उम्र में हुआ। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर थी। सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रथम महिलाओं में थी। मेरी आँखों में आकांक्षी सपने थे। 80 के दशक के उत्तरार्ध में, कुछ महिला पत्रकारों का वर्चस्व था। प्रोमिला कल्हण, अमिता मलिक, उषा राय, देवयानी चौबल, मधु जैन, मृणाल पांडे, सुमन बजाज कालरा, *सुनील सेठी, कूमी कपूर आदि। वे कोई भी कचरा प्रकाशित करे देते थे ! नवागंतुकों के साथ अभद्र व्यवहार, नपुंसकता, एम.जे. अकबर की शैली जैसा व्यवहार किया जाता था ! क्या मैं यह कहने की हिम्मत कर सकती हूं कि मीडिया में कई एम. जे. अकबर हैं!
2. मैंने ऑपरेशन ब्लू स्टार पर, 1984 में एक लेख लिखा था। मेरी संत जरनेल सिंह भिंडरावाले; से भेंटवार्ता को 'दी वीक' (जो हाल ही में लॉन्च हुई); पत्रिका में प्रकाशित हुआ । टी. वी. आर. शेनॉय, संपादक ने मुझे 'दी वीक' के लिए नियमित योगदान करने का आग्रह किया। याद रखें कि यह कोई इंटरनेट-डिजिटल का दौर नहीं था। हमें लिखना या टाईप करना पड़ता था ।
3. कुछ लेख प्रकाशित होने के बाद, टी. वी. आर. शेनॉय, मुझे घूरने लगे, मुंह से लारें टपक रही थीं, मेरे शरीर को अनुचित तरीके से छू रहा था! उन्होंने कहा; "डरो मत, मैं आपके लेख नियमित रूप से प्रकाशित करूंगा"! मेरी आंखों में आंसू आ लिए। मैं केबिन के दरवाज़े की ओर बढ़ी, कि उसने कुंडी लगा दी थी और उसने मुझे पकड़ लिया, मेरी ब्रा का पट्टा खींच लिया ... जबरन चुंबन; एम.जे. अकबर शैली ! मैं चिल्लाती हुई केबिन से बाहर भागी।
4. गुरकीरत सिंह - जी.के. सिंह और विनोद शर्मा रिपोर्टर थे। मैंने अपनी फिएट कार चलाई, घर चली और दंग रह गयी! परिवार से भी इसे साझा नहीं कर पाई ( मेरा रूढ़िवादी परिवार था!) टी. वी. आर. शेनॉय ने मुझे बार-बार फोन किये, यह कहने के लिए कि उन्हें मेरे लेख चाहिए! बेशर्म शोषणकर्ता! शेनॉय; आप मोलेस्टर हैं या संपादक? मैं आज तक कभी भी आई.एन.एस. भवन स्थित, 'दी वीक' कार्यालय नहीं गयी। हालांकि 'दी वीक', 'दी मलयालम मनोरमा ग्रुप के मालिक #Stephanians #laalsitara में पड़ते थे।
5. वह छोटा क्यूबिकल मुझे टी.वी आर. शेनॉय के मेरे प्रति घृणित व्यवहार की याद दिलाता है।
• सर्वोच्च न्यायालय का कानून:-
संपादक के केबिन को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए, ताकि एम.जे. अकबर और मीडिया जगत के शेनॉय उन पर कुछ आत्म-नियमन कर सकें। मीडिया कार्यालयों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने चाहिए।
TVR Shenoy, the sexual predator editor of THE WEEK
6. इसके बाद मेरी मुलाकात स्वर्गीय जी.के. सिंह, जो बहुत ही सहज थे, के साथ हुई। वह इस जघन्य घटना के चश्मदीद थे। वह वास्तव में स्तब्ध थे व टी. वी. आर. शेनॉय के इस कृत्य से दु:खी थे।
7. केरल के पत्रकारों की एक उभरती हुई लॉबी थी, जिन्होंने इस यौन शिकारी टी.वी.आर शेनॉय
की प्रशंसा की।
8. शेनॉय, बाद में राज्यसभा सदस्य बने - भाजपा सांसद। वाह ! एक दुष्कर्मी को क्या इनाम! मैं शेनॉय और उसके साथियों द्वारा एक संगठित बदनामी और मानहानि अभियान का शिकार थी ! मैंने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में टी.वी.आर शेनॉय को कई बार देखा। मैं इस घटना को कभी नहीं भूली और टी. वी. आर. शेनॉय को आज तक माफ नहीं किया। अप्रैल 2018 में उनका निधन हो गया। क्या मैंने शोक मनाया? मैं बस मुस्कुरा दी !
9. ☆ माखन लाल कोत्रू, M. L. Kotru, 90 वर्ष, 'दी स्टेट्समैन' के पूर्व निवासी संपादक, का परिचय मुझसे #ShabbirAhmedJalib, एक कश्मीरी इंजीनियर, सेब व्यापारी, द्वारा हुआ। शब्बीर और मैं अच्छे मित्र थे।
10. एम. एल. कोटरू प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के महासचिव थे। कोटरू ने मुझे अपनी कश्मीरी शिक्षिका पत्नी से तलाक के बारे में झूठ बताया। उसने मुझसे दोस्ती करने की इच्छा व्यक्त की। वह मुझसे 30 साल बड़े हैं। शराबी, धूम्रपानी, ज़ोर से बोलने वाला, आक्रामक इंसान! मैं उसकी उपस्थिति में बौना महसूस कर रही थी। अनिल सारी; सुनील सेठी आदि उसके 'पूडल' थे। जब मैं उनके ओवरस्टैक्ड 'दी स्टेट्समैन' कार्यालय में गयी, तो उन्होंने फर्श पर अख़बार रखना शुरू कर दिया और कामुक हुए। क्या महान पत्रकार हैं ये लोग ? बाप रे ! नीना व्यास, अमिता मलिक, उनके दोस्त थीं।
11. श्री सी. आर. ईरानी, प्रमुख, The Statesman के प्रमुख संपादक थे। वे स्टेट्समैन में माखन लाल कोटरू से नफरत करते थे। नजम-उस-साक़िब, IAS आई.ए.एस. उर्फ 'नजम' इस सब कचरे के बारे में जानते थे! प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में, ए.पी. के डेल मार्श, विजय, अनिल सारी, नील बत्रा, मुरुगन - वेटर, की उपस्थिति में कोटरू, ने मुझे धक्का दिया। वह चिल्लाया, शातिर तरीके से मुझे गाली दी, बिना रुके। नशे में धुत, कोटरू क्लब से चला गया। डेल व नील बत्रा ने वास्तव में खेद महसूस किया और मुझे घर तक छोड़ दिया। मैं कभी भी प्रेस क्लब ऑफ इंडिया नहीं गयी, जब तक एम. एल. कोटरू पदाधिकारी था। इसके बाद मैं और शब्बीर कभी नहीं मिले। वह कायर भी था!
एम.एल. कोटरू, को ईरानी ने The Statesman से बर्खास्त कर दिया था। सी.आर. ईरानी, प्रधान संपादक, कोटरू के व्यवहार से तंग आ चुके थे।
12. ☆ ऐसा ही घिनौना और भद्दा व्यवहार देवी प्रसाद त्रिपाठी उर्फ डी.पी.टी. जे.एन.यू. #NCP (M.P. राज्य सभा) जो दिल्ली के; राजनीतिक-मीडिया शक्ति हलकों; में मुझ पर अपने मानहानिकारक, निंदनीय हमलों में पागल हो गया था। लुटियंस मीडिया तो मात्र एक; 'किटन - किट्टी क्लब' है? उन्होंने #KPMG के केवल थापर, के साथ मेरी दोस्ती तुड़वा दी। मैं केवल से #StStephensCollege के दिनों से मित्र थी! डी. पी त्रिपाठी कैंसर से मर गया है। #JNU
13. एक हिट एंड रन दुर्घटना में मेरे पिता, श्री जसवंत राय जी की मृत्य हो गई थी। मां लज्जया देवी, की कैंसर से मौत हो गई। अपने मां-पिता को युवा काल में ही खो दिया था। मैं बहुत छोटी थी। भावनात्मक रूप से थक गई थी! इन जानवरों द्वारा कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई, जो अन्यथा दावा करते थे कि, वे मुझे प्यार करते हैं!
14. मैं इन अत्यंत शक्तिशाली, अपराधों के अपराधियों, यौन गीदड़ों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकती थी? मैंने अपने नन्हे पुत्र के पालन-पोषण द्वारा अपने दर्द और पीड़ा को नियंत्रित किया! मेरा बच्चा मेरा निरंतर साथी था।
15. टी.वी.आर. शेनॉय, दिग्विजय सिंह, मुरली मनोहर जोशी और एम.एल. कोटरू!
16. #MeTooIndia का इतिहास:-
संयुक्त राज्य अमेरिका में #METOO की अग्रणी; तराना बर्क; ने एक नाबालिग लड़की पर प्रतिक्रिया व्यक्त की, जो एक यौन शिकारी द्वारा अपनी कहानी बता रही थी! तराना बर्क ने #Metoo कहकर रिएक्ट किया। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए महिलाओं के अनुभव #METOO एलिसा मिलानो, हॉलीवुड अभिनेत्री ने #METOO को हॉलीवुड में अगले स्तर पर ले लिया। हार्वे वेनस्टेन, फिल्म निर्माता को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है। #TaranaBurke
17. ☆ दिग्विजय सिंह, काग्रेस नेता, मध्य प्रदेश के राघोगढ़ के शक्तिशाली यौन रूप से जिज्ञासु राजनेता हैं। वह एक एम.एल.ए. थे। जब मैं तालकटोरा स्टेडियम में एक युवा सम्मेलन में उनसे मिली, जहां #RajivGandhi एक युवा रैली को संबोधित करने आए थे।दिग्विजय सिंह राघोगढ़ से (पूर्व में ग्वालियर राज्य के अधीन) सांसद बने। जल्द ही उन्होंने अपने गुरु अर्जुन सिंह को चाकू मार दिया, जो कहते थे; "मक्खियों की भी पंख निकल आए हैं"। #डिग्गीराजा ने हर जगह मेरा पीछा करना शुरू कर दिया। जब तक उन्होंने मुझे बताया, "मेरी पत्नी बिस्तर में बहुत अच्छी है" (My wife is great in bed" स्वर्गीय आशा रानी सिंह की कैंसर से मृत्यु हो गई)। तो दिग्गी, आप महिलाओं के प्रति दोगली नज़र क्यों रखते थे? आशा सिंह, अपने पति की हरकतों के बारे में जानती थीं और शुतुरमुर्ग की तरह आँखें बंद कर लेती थीं!
18. दिग्विजय सिंह के, बहुप्रचारित बेडरूम स्लिज़, अमृता राय, राज्यसभा टी. वी. ऐंकर #AmritaRai के साथ इंटरनेट पर वायरल हुईं। मुझे आश्चर्य नहीं हुआ!
19. दु:ख की बात है कि उनकी पत्नी आशा और बेटी कर्णिका की कैंसर से मृत्यु हो गई। यह कांड YouTube और Zee News Channels पर प्रसारित हुये, जिसने दिग्विजय सिंह के पांच बच्चों को झकझोर कर रख दिया था!
20. अमृता राय, क्या आप दिग्विजय सिंह की निरंतर, धूर्त यौन विकृति को नहीं जानती थीं? जब आप K.G. में थी, वह मेरे साथ था, इससे पहले कि तुम उसे घेरो! ठीक है, समय की बर्बादी बच्ची! यह एक षड्यंत्र था।
21. ☆ मुरली मनोहर जोशी को #RSSorg द्वारा #BJP अध्यक्ष के रूप में, पांच साल के कार्यकाल के मध्य में (1991-1993) ही बाहर कर दिया गया था। उनकी 'एकता यात्रा', लाल चौक #श्रीनगर तक, एक दम विफल थी। श्री के. एस. सुदर्शन आरएसएस के #सरकार्यवाह थे। प्रो. राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया सरसंघचालक थे, जिन्होंने मुझे के.एस. सुदर्शन से मिलवाया था।
22. अचानक मुझे प्रदीप जैन और तरुण मिश्रा का फोन आया। 24-रकाबगंज रोड, नई दिल्ली, पर मुरली मनोहर जोशी के साथ; चाय के आमंत्रण; के लिए।
23. मैं सरकार में दूरदर्शन समाचार विभाग की राजनीतिक संवाददाता था। भारतीय सर्वोच्च प्रसारक दूरदर्शन समाचार प्रभाग, बहुत महत्वपूर्ण था। एक स्वतंत्र लेखिका के रूप में, मेरे लेख कई प्रकाशनों में प्रकाशित हुए। एम. एम. जोशी ने एक साक्षात्कार के लिए मुझसे अनुरोध किया। के.एन. गोविंदाचार्य, प्रमोद महाजन, सुषमा स्वराज, एल.के. आडवाणी, ने मुझे मुरली मनोहर जोशी के बारे में चेतावनी दी थी, कि वह एक कपटी, अविश्वसनीय और कुटिल व्यक्ति है। उन सभी ने मुझे उससे दूर रहने की चेतावनी दी। मुझे उनकी सलाह का पालन करना चाहिए था !
24. कुछ मुलाकातों के बाद मुरली मनोहर जोशी ने मुझे 24, रकाबगंज रोड पर भोजन के लिए आमंत्रित किया। अपने अध्ययन कक्ष में मुरली मनोहर जोशी ने, मेरा हाथ पकड़ कर कहा," मैं आप को बहुत पसंद करता हूं। मैं चाहता हूं कि आप दिल्ली में मेरा जीवन संभालें। मेरी पत्नी तरला, बेटियां प्रियंवदा, जिसकी शादी एक रेलवे अधिकारी से हो चुकी है, निवेदिता, इलाहाबाद में रहती हैं। आप मेरे साथ दिल्ली में रहिए"। मैं तब तक जोशी MMJ के इस रूप से परिचित नहीं थी।
25. मैं मुरली मनोहर जोशी के निजी जीवन के बारे में कुछ नहीं जानती थी! वैसे निवेदिता जोशी 48 साल की है और प्रियंवदा जोशी 54 साल से ज़्यदा! लगभग मेरी उम्र! प्रियंवदा जोशी के पति अनंत श्रीवास्तव एक भारतीय रेलवे सेवा अधिकारी थे, जो एक सभ्य व्यक्ति हैं! एक आदमी, जिसका परिवार मुझे अच्छी तरह से जानता था, मुझ पर इतनी बेरहमी से हमला कैसे कर सकता है? यह मुझे आज तक समझ में नहीं आया? मैंने एम. एम. जोशी के परिवार के विभिन्न सदस्यों को खुशी-खुशी 100 उपहार भेंट किए!
26. निवेदिता और मुरली मनोहर जोशी विशेष रूप से जुनूनी थे। मुरली मनोहर जोशी, क्या आप मुझे दोस्त नहीं मान सकते थे? नहीं तुम नहीं मान सकते थे? आप चाहते थे कि मैं आपकी प्रेमिका और रखैल बनूं! मैंने तुम्हारा मर्दाना अहंकार तोड़ा और तुमने मेरा सिर तोड़ दिया! मनोचिकित्सकों ने मुझे सूचित किया है कि मुरली मनोहर जोशी ने मुझ पर जिस तरह का हमला किया, वह कामुकता व हताशा और एक टूटे हुए अहंकार का प्रदर्शन है।
27. बेशर्म! मैंने उसके भद्दे प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया। जब मैंने खाना खाने से मना कर दिया तो मुरली मनोहर जोशी जंगली शिकारी बना। यह भोजन के बारे में नहीं था, यह मेरे संबंध को अस्वीकार करने का परिणाम था । उसके सुपर-अहंकार को चोट लगी थी। उसने मेरे लंबे बाल खींचे, मेरे माथे को बार-बार दीवार से मारा। उसने मुझे अपने पैरों से घूंसे मारे, जिससे मेरे पेट की आंतें फट गईं और खून बह रहा था।
28. उसने मेरा एरिक्सन मोबाइल फोन छीन लिया, जो मुझे #peterhassan द्वारा उपहार में दिया गया था। मैं शशि रुइया और #एस्सार समूह के रवि रुइया के संपर्क में थी। एम.एम.जे. ने मेरा सिम निकाल लिया और मेरा मोबाइल फोन तोड़ दिया, ताकि मैं 100 डायल न करूं।
29. मेरे गहनों की झिलमिलाहट चारों ओर गिर गई थी। मुझे खून की उल्टी हो रही थी और मेरे शरीर में असहनीय दर्द हो रहा था। मैं बेहोश हो गई। हे भगवान, इस अहंकारी, मुरली मनोहर जोशी ने मेरे साथ क्या किया है! कुछ ही मिनटों में मैंने खुद को उठा लिया।
जोशी ने कहा, उसका ड्राइवर मुझे मेरे घर छोड़ देगा। मैं ऊसे घूर रही थी!
30. मेरे माथे पर गांठें व नील पड़ गए, फर्श पर बाल झड़ रहे हैं, कीमोसिस है, मेरे फटे कपड़ों पर खून है, आंतों से खून बह रहा है? हे भगवान !
31. जोशी ने मेरा हाथ पकड़ लिया; "मुंह मत खोलो वरना पछताओगी" की धमकी दी! धन्यवाद मुरली मनोहर जोशी ! मुझे आज तक खेद है कि तुम धरती पर आए, मुरली मनोहर जोशी!
32. अगले दिन प्रदीप जैन, पी.ए., मेरे टूटे हुए ज्वैलरी ट्विंकल लौटाने आए। मुरली मनोहर जोशी (13 दिनों के लिए) गृह मंत्री थे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में एच.आर.डी. मंत्री। ! वाह, यौन उत्पीड़क शिकारियों के लिए एक बड़ा इनाम !
33. मैं खुद ही राम मनोहर लोहिया अस्पताल गयी। डॉक्टरों ने मुझसे चोट का कारण पूछा। मैंने उपरोक्त घटना, युवा डॉक्टरों को सुनाई, जो दंग रह गए! मेडिको लीगल रिपोर्ट (एमएलआर) बनाई गई। उपाधीक्षक संसद मार्ग, अस्पताल आया।
34. पत्रकार माधव दास नालापत - एम. डी. नालापत, उर्फ, 'मोनू', स्वर्गीय वी. एन. नारायणन, दी हिंदुस्तान टाइम्स के प्रधान संपादक, हरीश अवस्थी, सत्य प्रकाश असीम, वीर सांघवी और कई पत्रकारों को मुरली मनोहर जोशी द्वारा मुझ पर किए गये इस भयानक हमले के बारे में पता था।
35. मैंने श्री प्रणब नंदा, आईपीएस, डीसीपी-नई दिल्ली को लिखित शिकायत दी। एक सरदार जी, थाना प्रभारी, डरपोक दिखाई दिये। एक सभ्य पुलिस अधिकारी प्रणब नंदा ने मुझे सांत्वना दी। वह वास्तव में हैरान और दु:खी थे, लेकिन उसने एक कैबिनेट मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की।
36. राजनाथ सिंह भाजपा अध्यक्ष थे। मैं अशोक रोड स्थित उनके आवास पर गयी थी। उन्होंने सहानुभूति व्यक्त की लेकिन अपने कैबिनेट सहयोगी के खिलाफ कुछ नहीं किया। आर.एस.एस. के; श्री के. एस. सुदर्शन जी ने कहा; "देखो मैंने तुम्हें इस हलवाई के बारे में चेतावनी दी थी"?
37. यह घटना व्यापक रूप से जानी जाती थी, लेकिन पेड, पिंप, पूडल मीडिया, प्रेस्टीट्यूट्स (जनरल वी.के. सिंह द्वारा गढ़ा गया शब्द) ने इसे अधिक प्रकाशित नहीं किया। शायद दबाव में?
38. दुर्गा के उपासक, दो बेटियों के पिता (प्रियंवदा और निवेदिता) एक कायर एम. एम. जोशी, अपने परिवार को दिल्ली ले आया। डाः मुरली मनोहर जोशी एक तांत्रिक है, और कामाख्या मंदिर से काला जादू करता है। मैंने सुना है कि वह भौतिकी के प्रोफेसर थे?
39. दोस्तों, मैंने कार्रवाई की। मैंने दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय का रुख किया और दिल्ली पुलिस और मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ एक आपराधिक रिट याचिका दायर की; Criminal Writ Petition। एडवोकेट के.के. सूद; एम.एम.जोशी के लिए पेश हुए।
40. दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। दस्तावेज़, तर्क, सबमिशन किए गए थे। जस्टिस अनिल देव सिंह गुस्से में थे, लेकिन उनके साथी जज जस्टिस आर.एस. सोढी, अकाली दल के दबाव के कारण फूस हो गये।
41. मीडिया का गला घोंटा गया था, एक सरकारी कैबी की तरह!
42. इसके बाद, मेरे मित्र मोनू नलापत ने मुझसे मुरली मनोहर जोशी को क्षमा करने का आग्रह किया। मोनू, अगर आपकी पत्नी लक्ष्मी, दुशासन - दुर्योधन: मुरली मनोहर जोशी के हाथों इस दुराचार से झूझती तो आप क्या करते?
मोनू ने मुझे धमकी भी दी कि एम.एम.जोशी; मेरा अतीत खोद देगा! ओह, मेरा भी कोई अतीत है?
43. एम.एम. जोशी के पत्रकार, विनोद शर्मा ने कब्र से कंकाल खोदने के लिए ब्राह्मण लॉबी, मुरली मनोहर जोशी के लिए शोध किए! बेतुका! प्रेस्टीट्यूट्स!
44. इन सबके बावजूद, मेरे मन में एम.डी. नालापत की अकादमिक गतिविधियों के लिए सम्मान है। #METOOneelam4justice #PrafulPatel के घर पर एक बैठक तय की गई थी, जहां प्रदीप जैन, एम.एम. जोशी व एम.डी. नालापत मौजूद रहेंगे। यह मुझे 'सॉरी' कहने के लिए थी। This was to say, "Sorry" to me by Dr. Joshi! Wow!
45. "ये सब कुछ भववेश मैं हो गया" (यह सिर्फ भावनात्मक आक्रोश के साथ हुआ), मुरली मनोहर जोशी ने कहा। ओह सच में? क्या आपने तरला, प्रियंवदा या निवेदिता पर इतना भावनात्मक आक्रोश किया है?
46. वैसे भी मैं इस बैठक में नहीं गयी। डाः मुरली मनोहर जोशी, आप 89 वर्ष के हैं। मेरी आत्मा पर इस विनाशकारी हमले के लिए मैं आपको कभी नहीं भूलूंगीं और कभी माफ नहीं कर सकती ! माँ दुर्गा भी आपसे हमेशा नफरत ही करेगी !
47. #metoochallenge ने महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए व्यवस्था की सामूहिक विफलता को प्रदर्शित किया है।
48. तो दोस्तों, मैंने दो दशकों के लिए मीडिया प्लेटफॉर्म और सार्वजनिक जीवन से खुद को अलग कर लिया। कई महिला पत्रकारों की एक कबाल, कभी अपना मुंह भी नहीं खोलती !
49. काश, उनमें से कई अन्य यौन, मानसिक शिकारियों की शिकार हुईं। अब तक पेड प्रेस्टीट्यूट का पर्दाफाश हो चुका है !
50. वास्तव में दु:खद बात है कि कई महिला पत्रकार सबसे बुरे यौन अपराधों की शिकार हुईं।
नीलम महाजन सिंह प्रोफेसर, विचारक, वरिष्ठ पत्रकार
मैं हर उस इंसान के प्रति सहानुभूति रखती हूं और उसका समर्थन करती हूं, जिसके व्यक्तिगत जीवन पर अतिक्रमण किया गया है।
इन अपराधों ने मुझे एल.एल.बी. #LLB की पढ़ाई करने का साहस दिया। सामाजिक न्याय, मानवाधिकार संरक्षण, समाज में, आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के लिए धर्मयुद्ध के लिए संघर्षरत किया।
भारत के संविधान की जय!
इंकलाब जिंदाबाद! इंकलाब जिंदाबाद!
~नीलम महाजन सिंह प्रोफेसर~ क्रांतिकारी कार्तिका वीरांगना: संघर्ष और न्याय पथ पर अग्रसर!
{एलएलबी. एम.फिल. एम.ऐ. सैंट स्टीफन कॉलेज, टी.वी.एन.पी.- एफटीआईआई-पुणे}
singhnofficial@gmail.com
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