राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की भावुकता को सलाम: Prof. Neelam Mahajan Singh

*राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की भावुकता को सलाम*
- संविधान दिवस पर न्यायापालिका को मानवीय अधिकतर संरक्षण का आईना दिखाया- नीलम महाजन सिंह 
☆सौ सुनार की एक लोहार की! राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी, मुझे आप पर बहुत गर्व है। जो लोग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रबर-स्टाम्प, मात्र पिछड़ी जाती, आदिवासी के कटाक्ष दे रहे थे, राष्ट्रपति मुर्मू ने उनके मुह पर करारा थप्पड़ जड़ा है। भारत के संविधान दिवस के दिन सुप्रीम कोर्ट में भाषण देते हुए, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड, न्याय मंत्री किरण रीजीजू, जस्टिस संजय किशन कौल के समक्ष द्रौपदी मुर्मू के आंसूओं में मानो भारत के हर नागरिक का दर्द था। मौलिक अधिकारों व मौलिक कर्त्तव्यों की और महामहिम ने ध्यानाकर्षण किया। 76 वर्षों में भी, भारतीय नागरिकों को 1861 के आईपीसी और सीआरपीसी से झूझना पड़ता है। भारत अब आज़ादी के अमृत काल की और अग्रसर है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्रांगन से कहा था, कि आज़ादी का अमृत महोत्सव पूरा हो गया है औऱ अगले 25 वर्षों में भारत को विश्व गुरु बनने के लिए सभी को मेहनत करनी है। 'सबका विकास सबका प्रयास' ! विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को संविधान का पालन करना आवश्यक है। परंतु लगातार 'तारीख पे तारीख' से लोग कोर्ट कचहरी से दूर रहते हैं। जबकि न्यायापालिका संविधान संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। फिर विधान सभा, लोक सभा, राज्य सभा, सरकारी, कार्यपालिका व न्यायापालिका का मुख्य उद्देश्य समाज में समरसता बनाये रखना है। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि ये तीनों अंग आज़द भारत की जनता को डरा कर, दबाकर रखने का प्रयास करते हैं! सभी राष्ट्रपतियों में, महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने न्यायपालिका को वास्तविक आईना दिखाया है। जहां एक और 21वीं शताब्दी में 'वासुदेव कुटुम्बकम' की बात होती है, वहीं न्यायाधीश या न्यायपालिका और उनके निर्णय पर विचार - विमर्श करने को अवमानना या 'कनटेमपट ऑफ कोर्ट' क्यों माना जाता है? न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा है कि नीचे की अदालतों के मैजिस्ट्रेट जमानत देने से डरते हैं, कि उन पर कोई शक नहीं करे। माननीय मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड जी फिर इन न्यायाधीशों को अपने पद पर बने रहने का कोई ओचितय नहीं है। यहीं बात महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में कही। द्रौपदी मुर्मू की पीड़ा में हर नागरिक की पीड़ा है। वैसे भ्रष्टाचार व 'कैश एट डोर कांड' निर्मल यादव, जज मसरूर कुदूसी कांड - ओडिशा हाई कोर्ट; नैतिक गिरावट; दिल्ली के सस्पेंडिड जितेंद्र कुमार का अश्लील वीडियो, रचना त्यागी लखनपुर और उसके पति को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया, पुणे की अर्चना जाटकर, हिमाचल के गौरव शर्मा को सेवा निवृत्त किया गया, तेलंगाना का राधाकृष्णन मूर्ति, इलाहाबाद के नारायण शुक्ला, आदि अनेक उदाहरण हैं, जिससे न्यायाधीश व न्यायपालिका की गरिमा को आम-जन में गहरा आघात पहुंचा है। अमेरिका, यूरोप आदि में कोर्ट व न्यायाधीश मानव जीवन को अत्याधिक महत्व देते हैं। इन सबने आम जनमानस को डराया है! फिर पीड़ितों को समयानुसार न्याय भी नहीं मिलता? यहां मेरा अभिप्राय जघन्य अपराधों, मर्डर, रेप, डकेती, ड्रग्स आदि जैसे केसों से नहीं है। भारत की आज़ादीे के 76 वर्षों के बाद भी हम साम्राज्यवादी ब्रिटिश क़ानून को ही मान रहे हैं। क्या है भारतीय संविधान की प्रस्तावना: “हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26-11-1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।” न्यायाधीश ऐसे होने चाहिए जो नागरिक के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करें। परंतु अधिकतर वकील धनराशि की और अधिक ध्यानाकर्षित रहते हैं तथा नागरिक को मात्र 'क्लाइंट' ही समझते हैं, मात्र वास्तु। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सभी आलोचकों का मुँह हमेशा के लिए बंद कर दिया। "मैं एक बहुत छोटे से गाँव से आती हूँ, जहाँ सुविधाओं का बहुत अभाव है। तीन लोगों को भगवान माना जाता था, टीचर, डॉक्टर और वकील। जब लोग तकलीफ़ में होते हैं तो इन लोगों की मदद लेते हैं। उनके जीवनभर का धन, संपत्ति, सब बर्बाद हो जाता है। जब मैं विधायक थी तो मुझे, होम स्टेंडिंग कमिटी का अध्यक्ष बनने का मौका मिला। मुझे अनेक जिलों में जाने का अवसर मिला। मैं समझना चाहती थी कि लोग जैल मैं क्यों बंद हैं? मैंने स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट, सरकार को सौंपी। कुछ सुधार हुए पर जो मैं चाहती थी वह नहीं हुआ। जब मैं ओड़िशा, झारखण्डा की गवर्नर के समय JHALSA 'झालसा' का संयोजन हुआ, जब एक ही दिन में पांच हज़ार केस निपटाए गए। लोगों में झगड़े हो जाते है। पर ऐसे सेक्शन और दफे लगा दिए जाते हैं जिसका कोई औचित्य नहीं होता। फिर उनकी जमानत नहीं होती। लोग डरे हुए रहते हैं। ये उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। उन्हें वकील नहीं मिलते। उनकी ज़मीन जायदाद घर के बर्तन तक सब बिक जाते हैं। कार्यपालिका,न्यायपालिका, संविधान के तीन अंगों को मिल कर ककार्य करने की आवश्यकता है। आप जनसाधारण के लिए सोचें। समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए। जेलों की क्या आवश्कता है? नहीं चाहिए और जेल! इन सब को खत्म करो। कई घर बर्बाद हो गया है। ट्रायल सालों साल चलते हैं, बेकसूर लोग जेल में बंद हैं। क्या यह सही है? आप सब लोग बहुत ज्ञानी और अनुभवी जज हैं। मैं आप से निवेदन करती हूँ कि निर्दोष आम जनता को जेल से बाहर निकालें। जेल खचाखच भरे हुए हैं। फिर अब ह्यूमन राइट्स की भी विश्व भर में चर्चा हो रही है। यहां कानून मंत्री कारण रीजीजू जी भी बैठे हैं। आप कुछ सोचिए! मैंने काफी कुछ तो कह दिया और जो मैं नहीं बोल रहीं हूँ, उसे आप समझिए ..." राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू। 
ये सब सुनने के बाद, शायद सर्वोच्च न्यायालय व राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के मन में अपने कर्त्तव्य-बोध को निभाने की और अधिक प्रतिबद्धता होगी। जो बात हर भारतीय की त्रासदी है, वह महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने आँसुओं व भावुकतापूर्ण समस्त देश के समक्ष रख दी। जिला न्यायालय का तो बुरा हाल है और 90% झूठे फौजदारी मुकदमे चल रहे हैं। क्या आज़ाद भारत के नागरिक, पुलिस व्यव्स्था, कोर्ट-कचहरी को पसंद करते हैं? इसका उत्तर आप स्वयं ही दे दीजिए। हम भारत के नागरिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को धन्यवाद और सलाम करते हैं कि उन्होंने इतना साहस दिखाया कि भरे हुए सभागार में जहां सभी न्यायालयों के न्यायधीश थे, उनके समक्ष आम-आदमी के हृदय की पीड़ा को व्यक्त किया। महामहिम को बहुत-बहुत बधाई वह आभार! अब देखना है कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड, कितनी तत्परता से महामहिम की पीड़ा को समझते हुए, क्या कदम उठाते हैं? आशा है कि भारत के नागरिक को न्याय सुधार व्यवस्था का लाभ होगा। 
•नीलम महाजन सिंह• 
LL.B. M.Phil. M.A. B.A. (History Hons.) St. Stephen's College, T.V. News Production-Film and Television Institute of India, Pune (वरिष्ठ पत्रकार, विचारक, राजनैतिक समीक्षक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)
www.neelammsingh.in 
neelammahajansingh.blogspot.com 
@neelamsinghLLB LinkedIn Instagram 
singhnofficial@gmail.com 
#NavgrahTimes Fcc South Asia #narendramodi_primeminister #presidentdraupadimurmu #PresidentOfIndia #AmitShah #indiatodaymyspace #JusticeDYChandrachud #india_islamic_cultural_centre #kiranrijuju #RashtrapatiBhavan #MahamahimDraupadiMurmu #NarendraModi #PMOIndia #DrSJaishankar #LaalSitara #StStephensCollege #urdusahafat #RashtrapatiDraupadiMurmu Surjitt Bhagat Ludhiana Syed Ali Mehndi Yuvraj Siddhartha Singh Sushil Gautam #MinistryOfHomeAffairs

Comments