Hari Bhoomi hindi national newspaper published Neelam Mahajan Singh's article on condemnable BULLI BAI APP against the Muslim women

मानसिक विकृति के पीछे कौन 
~ नीलम महाजन सिंह ~
हरि भूमि 09.01.2022
यह चौंकाने वाली घटना है कि भारत की आज़ादी के 75 साल बाद भी महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और अपराध की गतिविधियाँ ​​जारी हैं। 'बुल्ली बाई एप केस', नए साल के पहले हफ्ते का सबसे नेगेटिव ट्रेंडिंग टॉपिक है। इस विषय ने दुनिया भर में लाखों लोगों को स्तब्ध किया है। केवल कुछ ही लोग जानते हैं कि 'बुल्ली बाई ऐप केस' वास्तव में क्या है? यह विषय इतना विवादास्पद क्यों हो गया? नए साल के सप्ताहांत के दौरान, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म; ट्विटर पर कई मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों की बाढ़ आ गई, जिसमें अपमानजनक कैप्शन लिखे थे। हैरानी की बात यह है कि इन महिलाओं को पता तक भी नहीं था कि उनके चित्रों का इस प्रकार दुरुपयोग हो रहा है। कैसे उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं? इससे भी ज़्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इन कैप्शन और हैशटैग के इस्तेमाल से मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नीलाम कर बोली लगाई जा रही थी! यानी उन्हें ऑनलाइन बेचा जा रहा था; उच्चतम बोली पर! मुम्बई पुलिस में शिकायत के उपरांत इस ऐप को ट्विटर अकाउंट से  हटा कर बैन कर दिया गया है। 'बुल्ली बाई एप केस' वास्तव में शर्मनाक है? साज़िश के तहत ऑनलाइन नीलामी में लोगों को बरगलाया गया। इस ऐप के ज़रिए महिलाओं के लिए पैसे के बदले में बोली लगाई जा रही थी। हालांकि इस तरह का एक भी मामला नही हुआ। इस तरह के ऐप्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लड़कियों -- महिलाओं की तस्वीरें चुराते हैं और उन्हें नकली ऑनलाइन नीलामी के लिए 'गिटहब' जैसे ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर पर सूचीबद्ध करते हैं। इस ऐप के बहुत कम ऑनलाइन उपयोगकर्ता हैं। ट्विटर पर ट्रेंड करने के बाद, यह ऐप कई अश्लील वेबसाईटों पर वायरल हुआ। इस ऐप पर निशाना बनाई गई महिलाओं को मानसिक व सामाजिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। आज भी साइबर अपराधों के बारे में नागरिक जागरूकता बहुत कम है। लड़कियों की फोटो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना, उनके खिलाफ कुछ मुद्दों पर महिलाओं को ट्रोल करना आदि आपराधिक गतिविधियों को भी मनोरंजन से जुड़ा ही माना जाता रहा है। यह अति निंदनीय है! बुल्ली बाई ऐप मामले के पीछे कौन हैं? इस मानसिकता की जांच ज़रूरी है। यह शर्मनाक है कि हमारे समाज के कुछ वर्ग विशेषकर युवा महिलाओं की मर्यादा, प्रतिष्ठा और सुरक्षा के खिलाफ इस तरह के जघन्य और दुर्भावनापूर्ण अपराधों में लिप्त हैं। भारत सरकार ही नहीं, हर राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भ्रष्ट व विकृत दिमाग के ऐसे अपराधियों को पुनर्वास केंद्रों में रखा जाए, उन्हें सलाह दी जाए और दंडित किया जाए ताकि उनका सुधार किया जाए! धिक्कार है 'बुल्ली बाई ऐप' के इस आइडिया पर! महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक सुरक्षा की ज़रूरत है। ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अब तक बुल्ली बाई ऐप केस में नीरज बिश्नोई, विशाल कुमार, श्वेता सिंह और मयांक बिशनोई गिरफ्तार किए गए हैं। सवाल यह है कि कौन हैं ये विकृत मानसिकता वाले लोग? क्या है यह षड्यंत्र? मुम्बई के पुलिस कमिश्नर; हेमन्त नागराले ने कहा है कि पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि ऐप का प्रचार करने वाले ट्विटर हैंडल ने सिखों के नामों का इस्तेमाल क्यों किया? गौरतलब है कि कुछ हैंडलों में; खालसा सैपरेटिसट, जतिंदर सिंह भुल्लर, हरपाल सेज; जैसे नाम हैं। हेमंत नागराले ने कहा कि मुंबई पुलिस ने 2 जनवरी को ऐप के बारे में शिकायत मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज की है। जांचकर्ताओं ने ऐप और ट्विटर हैंडल का तकनीकी विश्लेषण शुरू कर दिया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह ट्विटर हैंडल, ऐप के नाम से ही, सोशल मीडिया वेबसाइट को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। तकनीकी विश्लेषण के दौरान ऐप के अनुयायियों के बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है। दिल्ली पुलिस ने अरषा खानुम की लिखित शिकायत के बावजूद मुकद्दमा रजिस्टर नहीं किया। मुम्बई पुलिस द्वारा केस रजिस्टर होने के बाद ही दिल्ली पुलिस भी हरक़त में नज़र आई। यह जस्टिस वर्मा कमिटी रिपोर्ट का उल्लंघन है। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि इसका मास्टरमाइंड कौन था? उसका मकसद क्या था और क्या गिरफ्तार आरोपियों को किसी ने भुगतान किया है? बाद में शिकायत मिलने पर इसे प्लेटफॉर्म द्वारा ब्लॉक कर दिया गया था, जबकि कोई वास्तविक नीलामी या बिक्री नहीं हुई है। ऐप का उद्देश्य लक्षित महिलाओं को अपमानित करना और डराना था, जिनमें से कई सक्रिय सोशल मीडिया उपयोगकर्ता हैं। बुल्ली बाई ऐप जैसी घटना शर्मनाक है, मानसिक विकृत्ता का उदाहरण है। मुस्लिम महिलाओं को साज़िशन अपमानित किया गया है। इसके गुनहगारों को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। जब तक हम सर्व धर्म व सर्व समाज की महिलाओं को सम्मान नहीं देंगे, 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का चरितार्थ नहीं करेंगे तब तक भारत मज़बूत नहीं होगा। हमें अपने समाज व देश को विकृत व विषाक्त वातावरण से बचा कर, महिलाओं को सशक्त करना चाहिए। 
~ नीलम महाजन सिंह ~
(वरिष्ठ पत्रकार, विचारक, राजनैतिक समीक्षक, पूर्व दूरदर्शन समाचार संपादक, मानवाधिकार संरक्षण सॉलिसिटर व लोकोपकारक)

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