The carnage at Lakhimpur Khiri by: Neelam Mahajan Singh

Neelam Mahajan Singh 's article in #Inquilab Urdu newspaper 08.10.202, on carnage in Lakhimpur Khiri. Hon'ble Supreme Court of India has taken up the petition as #PIL
लखीमपुर खीरी में किसानों का 'नरसंहार':
~नीलम महाजन सिंह~ 
लखीमपुर खीरी में किसानों और अन्य लोगों की हत्या को 'नरसंहार' माना जा रहा है। सच तो यह है कि इसे 'मॉब लिंचिंग' भी कहा जा सकता है। यह पहली बार नहीं है कि, जब गैर कानूनी तरीके से लोगों की हत्या की जा रही है। कई प्रकार के अपराधिक षड्यंत्र रचे जाते हैं, साथ ही साथ हर अपराधिक घटना को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। यह बहुत संकीर्ण मनःस्थिति है। लखीमपुर खीरी की घटना ने एक बार फिर यह स्थापित कर दिया है कि हमारे अन्नदाता, जो एक वर्ष से किसान आंदोलन कर रहे हैं, सरकार उसे कुचलने का भी प्रयास कर रही है। इसके साथ ही कुछ दिन पहले मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के मुख्यमंत्री का एक वीडियो वायरल हुआ। लखीमपुर खीरी की इस अपराधिक घटना के बाद अनेक ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनकी विश्वसनीयता पर लैब टेस्ट होने आवश्यक है आज वरुण गांधी ने भी एक वीडियो जारी किया जिसमें स्पष्ट रूप से आशीष मिश्रा थार जीप चलाते हुए नजर आए हैं इसके तुरंत बाद मेनका गांधी और वरुण गांधी को भाजपा की राष्ट्रीय एग्जीक्यूटिव से निष्कासित कर दिया गया है।
उसमें वह यह कहते हुये नज़र आ रहे हैं कि 'हर डिस्ट्रिक्ट में 15-20 लोग इकट्ठे हो जाओ और इन किसानों को लठ मारो, घबराओ नहीं और जेल में जाने से मत डरो'। इसका मुख्यमंत्री-हरियाणा ने खंडन किया है। यह भी कहा है कि उनके तथ्य को तोड़-फोड़ कर दिखाया जा रहा है। सच तो यह है कि लखीमपुर खीरी की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि हमारी 75 वर्ष की आज़दी के बाद भी देश में किसानों के प्रति सद्भाव और संवेदनशीलता नहीं है। 3 फार्म बिलों पर सरकार के साथ समझौता होना दुर्लभ है। गतिरोध इस स्थिति में आ गया है। क्यों किसान अब थोड़ा एग्रेसिव हो रहे हैं? एक साल हो गया और यह जरूरी है कि किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार कुछ कदम उठाये । लखीमपुर खीरी की घटनाक्रम के बाद, यूपी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने अमित शाह से बृहस्पतिवार को मुलाकात की है। जब भी धारा 302, 120-बी, सी.आर.पी.सी., लगई  जाती है तो हत्या के मामले में संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेना आवश्यक होता है। उससे भी महत्वपूर्ण कपिल सिब्बल, वरिष्ठ अधिवक्ता का यह ब्यान है कि ह्त्या की प्राथमिकी के उपरांत संदिग्ध लोगों को गिरफ़रतार न कर, सबूत मिटाये जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 अक्तूबर 2021 को सुनवाई शुरू होते ही रजिर्स्ट्री को, चीफ जस्टिस ने कहा कि 'हमने इस मामले को वकील शिव कुमार त्रिपाठी और सी.एस. पांडा की चिट्ठी पर दर्ज किया है'। हमने इसे जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने को कहा था लेकिन कुछ कंफ्यूजन से ये 'स्वतः संज्ञान' के तौर पर दर्ज हो गया। प्रधान न्‍यायाधीश एन वी रमना के अलावा जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली भी बेंच में शामिल थे। केस का टाइटल 'लखीमपुर खीरी में हिंसा के चलते जान का नुकसान' है। 
उच्चतम न्यायालय ने 24 घंटे में 'स्टेटस रिपोर्ट' फाईल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है, स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं। क्यों चूक कर रही है यू.पी. पुलिस? प्रशांत कुमार, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, ला एंड आर्डर का कथन है, कि राजनेताओं को लखीमपुर खैरी जाने से उन्हीं की सुरक्षा के लिए रोका गया। लखीमपुर खेरी में पत्रकार रमन कश्यप की हत्या निंदनीय है। चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। हजारों की संख्या में किसान यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में केंद्रीय मंत्रियों का विरोध करने के लिए जमा हुए थे।
किसानों ने केंद्रीय मंत्री, अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग रखी है। किसान नेताओं ने आरोप लगाया था कि मंत्री के बेटे के काफिले में शामिल वाहनों ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचला। इसके बाद हिंसा भड़क उठी और 4 किसानों के अलावा काफिले में शामिल चार अन्य लोग भी मारे गए थे। यूपी पुलिस ने लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत 14 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। धारा 302, 120-बी और अन्य धाराओं में यह केस दर्ज किया गया है। अजय मिश्रा ने मंगलवार को स्‍वीकार किया था कि उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में जिस कार ने  किसानों को कुचला था वह उन्ही की थी,  लेकिन वे या उनका बेटा, आशीष मिश्रा घटना के समय मौजूद नहीं थे। विचित्र है कि फिर कौन चला रहा था उनकी जीप को ? अजय मिश्रा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था, 'पहले दिन से ही हम इस बारे में स्‍पष्‍ट कह रहे हैं कि वह थार जीप हमारी है, यह हमारे नाम पर दर्ज है। यह वाहन, कुछ कार्यकर्ताओं को लेकर किसी को  लेने के लिए जा रहा था। मेरा बेटा दूसरी जगह पर था। सुबह 11 बजे से शाम तक, वह एक अन्‍य इवेंट को आयोजित कर रहा था। मेरा बेटा, आशीष मिश्रा वहां मौजूद था, वहां हजारों की संख्‍या में लोग थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह घोषणा की है कि सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के जज द्वारा एक उच्च स्तरीय कमेटी, 15 दिन के अंदर रिपोर्ट देगी। इसके अध्ययन के उपरांत कार्यवाही की जाएगी। यह आवश्यक था कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो कि वैसे तो कानून से संबंधित सख्त निर्णय लेते हैं, लखीमपुर खीरी को संवेदनशीलता से कयों नहीं लिया। लखीमपुर खेरी के इस अपराधिक मामले में यूपी सरकार ने चुक की है। इसके क्या कारण हैं, इसका भी अध्ययन करना आवश्यक है। भारत एक विशाल देश है और इसमें धर्म या जाति को लेकर अपवाद करना सही नहीं है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह को भी इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए था। अभी तक दोनों ने इस पर ना तो कोई टिप्पणी की है और ना ही कोई ट्वीट दिया है। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु का यह बयान याद आ रहा है कि स्वतंत्र भारत में किसी भी नागरिक की हत्या हमारे संविधानिक अधिकारों का हनन है। किसी की भी जान लेना एक कानूनी अपराध है और इस पर कठिन से कठिन कार्यवाही की जानी चाहिए।
नीलम महाजन सिंह 
(वरिष्ठ पत्रकार, विचारक, राजनैतिक समीक्षक, पूर्व दूरदर्शन समाचार संपादक, मानवाधिकार संरक्षण अधिवक्ता व लोकोपकारक)

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