Journalism Today Editorial; Existential crisis of Congress party & Congress Mukt Bharat 222.10.2021

कांग्रेस का अस्तित्व संकट और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का अहवान https://www.journalismtoday.in/8621/
Journalism Today Editorial में प्रकाशित मेरा लेख 'कांग्रेस का अस्तित्व संकट और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का आह्वान'  22.10.2021 
~नीलम महाजन सिंह~
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☆ कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। कांग्रेस एक राजनीतिक दल है जिसकी जड़ें भारत के कोने-कोने में फैली हुई हैं। 1885 में स्थापित, कांग्रेस ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को चुनौती दी तथा स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन को शुरू किया। 19वीं शताब्दी के अंत से और विशेष रूप से 1920 के बाद, महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की मशाल बनी। जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, मदन मोहन मालवीय, डॉ. मौलाना आज़द, सरोजिनी नायडू, सुभाष चंद्र बोस और अन्य ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद से भारत को स्वतंत्रता की ओर निर्देशित किया। दुर्भाग्य से हम भारत में आज तक ब्रिटिश साम्राज्यवादी नियमों और उपबंधों द्वारा शासित हैं। कांग्रेस ने भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद के जूक से आज़ादी दिलाई। कांग्रेस ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अन्य उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवादी आंदोलनों को शक्तिशाली स्वरुप दिया। हाल ही में कांग्रेस राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में, टाइम्स ऑफ इंडिया के, कुमार शक्ति शेखर ने कहा कि जी-23 के असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के पुनरुत्थान की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी प्टिप्पणी में कहा; कि वह कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा हैं। मुझसे बात करते हुए जी-23 के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, "सोनिया ने जो कहा वह निरर्थक है। नेहरू-गांधी वंश का कांग्रेस पार्टी पर दबदबा है। आप जो देख रहे हैं वह यू.पी.ए. के पी.एम. मनमोहन सिंह मॉडल के विपरीत है। उस दशक में जहां डॉ. मनमोहन सिंह की राजनीतिक ज़िम्मेदारी थी, वहीं सोनिया गांधी का पार्टी और सरकार पर अधिपत्य था। अब सोनिया गांधी अपने बच्चों, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की ज़म्मेदारी उठा रही हैं। ये बच्चे सब गड़बड़ा रहे हैं”। फिर कांग्रेस सभी राज्यों में ऐसी प्रस्थिति में क्यों आ गई ? पंजाब, कर्नाटक, मेघालय और मिज़ोराम को छोड़कर अधिकांश राज्यों में कांग्रेस का सफाया हो गया है। सोनिया, राहुल और प्रियंका पार्टी पर पूरा नियंत्रण रखना चाहते हैं। संगठनात्मक चुनाव किसी न किसी बहाने स्थगित कर दिए जाते हैं। यहां तक ​​कि अगर यह आयोजित किया भी जाता है तो भी एक निष्पक्ष संगठनात्मक चुनाव की उम्मीद कम है। राहुल गांधी का मज़ाक उड़ाते हुए कुछ कांग्रेसी कह रहे हैं, "पी.एम. नरेंद्र मोदी और सोनिया गांधी दोनों पूरी तरह से एकमत हैं कि राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष होना चाहिए"। सोनिया गांधी ने सी.डब्ल्यू.सी. में कहा कि पूर्ण संगठनात्मक चुनावों का कार्यक्रम सभी सदस्यों के सामने है। सोनिया गांधी पूर्णकालिक अध्यक्ष हैं, जिसे कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आज़द, आनंद शर्मा और पी. चिदंबरम जैसे वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी में चिंताजनक  स्थिति के बारे में उठाए जाने पर खंडन के रूप में देखा जा रहा है। सोनिया ने कहा, "मैं अगर आप अनुमति दें, तो कहना चाहती हूं कि मैं इनटेरिम काँग्रेस अध्यक्ष हूँ"। सोनिया ने अपनी टिप्पणी जी -23 की ओर निर्देशित की, जो एक पारदर्शी, व्यावहारिक, पूर्णकालिक और प्रभावी पार्टी अध्यक्ष और पार्टी के स्वरूप बदलने की मांग कर रहे हैं। अपने उद्घाटन भाषण में सोनिया ने कहा, "आखिरकार, संगठनात्मक चुनावों के द्वारा कांग्रेस को पुनर्जीवित करना है। लेकिन इसके लिए एकता और पार्टी के हितों को सर्वोपरि रखने की जरूरत है। इसके लिए आत्म-नियंत्रण और अनुशासन की आवश्यकता है। मैं इस तथ्य के प्रति पूरी तरह सचेत हूँ कि जब से सी.डब्ल्यू.सी ने मुझे 2019 में इस पोस्ट पर बनाया है, तब से मैं अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष हूं। इसके बाद, आपको याद होगा हमने 30 जून 2021 तक एक नियमित अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक रोडमैप को अंतिम रूप दिया था। लेकिन कोविड -19 की दूसरी लहर ने देश को पछाड़ दिया और इस समय सीमा को 10 मई 2021 को हुई बैठक में अनिश्चितकालीन के लिए बढ़ा दिया गया था। आज एक बार और सभी के लिए स्पष्टता लाने का अवसर है। पूर्ण संगठनात्मक चुनावों का कार्यक्रम आपके सामने है। महासचिव के.सी. वेणुगोपाल आपको बाद में पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी देंगे।” सोनिया ने यह भी कहा, "पिछले दो वर्षों में, बड़ी संख्या में हमारे सहयोगियों, विशेषकर युवाओं ने पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को लोगों तक ले जाने में नेतृत्‍व भूमिका निभाई है - चाहे वह किसान-आंदोलन हो, राहत का प्रावधान हो, महामारी, युवाओं और महिलाओं के लिए चिंता के मुद्दों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, मूल्य वृद्धि और सार्वजनिक क्षेत्र के विनाश को उजागर करना हो। हमने कभी भी सार्वजनिक महत्व और चिंता के मुद्दों को नजरअंदाज नहीं होने दिया। आप जानते हैं कि मैं, डॉ. मनमोहन सिंह और राहुल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उठाते रहे हैं। मैं समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ नियमित रूप से बातचीत करती रही हूं। हमने राष्ट्रीय मुद्दों पर संयुक्त बयान जारी किए हैं और संसद में भी अपनी रणनीति का समन्वय किया है"। सोनिया ने कहा कि कांग्रेस के आंतरिक मामलों को मीडिया में नहीं उठाया जाना चाहिए। "मैंने हमेशा स्पष्टता की सराहना की है। मीडिया के माध्यम से मुझसे बात करने की कोई जरूरत नहीं है। हम सभी को एक स्वतंत्र सम्मानपूर्वक; राष्ट्रीय मुद्दों पर संयुक्त बयान जारी किए हैं और संसद में भी अपनी रणनीति का समन्वय किया है। इस कमरे की चारदीवारी के बाहर जो बात होनी चाहिए, वह सी.डब्ल्यू.सी. का सामूहिक निर्णय है।” 
कांग्रेस पार्टी को व्यक्ति केंद्रित होने का दोष देना गलत होगा। ममता बनर्जी की टी.एम सी. नीतीश कुमार की जे.डी.यू., नवीन पटनायक की बी.ज.द. असदुद्दीन ओवैसी की ए.आई.एम.आई.एम., सुश्री मायावती की ब.स.पा., डी.एम.के. के स्टालिन और अन्य राजनीतिक दल भी व्यक्तित्व केंद्रित हैं। कांग्रेस से बड़ी संख्या में समर्पित कांग्रेस सदस्यों ने त्यागपत्र दिया है। सोनिया गांधी के निजी सचिव विंसेंट जॉर्ज के कारण सोनिया गांधी तक कांग्रेस नेता नहीं पहुंच पाते हैं। राहुल और प्रियंका भी जनता नेता नहीं हैं। यही कारण है कि वे 'वोटे-कैचर' नहीं हैं। कांग्रेस पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बड़े पैमाने पर सुधार की ज़रूरत है। जतिन प्रसाद, सुष्मिता देव, प्रियंका चतुर्वेदी, ज्योतिर्दित्य सिंधिया और कई अन्य नेताओं ने कम्युनिकेशन गैप और कांग्रेस अध्यक्ष के जासूसों के कारण कांग्रेस छोड़ दी है । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपमानित किया गया। यह पंजाब में कांग्रेस के लिए विनाशकारी साबित होगा। समीक्षार्थ यह कहा जा सकता है कि 2004 में जब सोनिया गांधी के पास प्रधानमंत्री बनने का पूरा मौका था तो उन्होंने अपनी 'अंतरात्मा की आवाज़' सुनी। सुषमा स्वराज द्वारा 'गंजा होने और चने खाने' की धमकी के नाटकीय विरोध के बावजूद उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। अब समय आ गया है कि सोनिया गांधी युवा और वरिष्ठ नेताओं को अपने वर्चस्व का अनुभव समर्पित करें। अगर वह कांग्रेस सदस्यों की इच्छा के बिना सत्ता में रहती हैं, तो पार्टी लुप्त हो जाएगी और पी.एम. नरेंद्र मोदी के 'कांग्रेस मुक्त भारत' के आह्वान को वास्तविक स्वरूप मिल जाएगा। फैसला तो नेहरू-गांधी वंश और कांग्रेस के सदस्यों ने करना है।
~नीलम महाजन सिंह~ 
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(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, मानवाधिकार संरक्षण अधिवक्ता, पूर्व दूरदर्शन समाचार संपादक व लोकोपकारक)
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