एक मूर्ति में सिमट गई किस भांति सिद्धियां सारी ?कब था ज्ञात मुझे, इतनी सुंदर होती है नारी ?

Shambhu Yadav says about Neelam Mahajan Singh :-
Event: Neelam Mahajan Singh being awarded Ram Manohar Lohia Award at Kanpur.
☆ आपको देखकर मुझे कवि रामधारी सिंह दिनकर की उर्वशी की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं :--
एक मूर्ति में सिमट गई 
किस भांति सिद्धियां सारी ?
कब था ज्ञात मुझे
इतनी सुंदर होती है नारी ?

लाल लाल रे चरण कमल से
कुमकुम से जावक से
टंकी रक्तिम कांति शुद्ध 
ज्यों धुली हुई पावक से ।

जग भर की माधुरी अरुण 
नजरों में धरी हुई सी
आंखों में वारुणी रंग 
निद्रा कुछ भरी हुई सी ।

पग पड़ते ही फूट पड़ें 
विद्रुम-प्रवाल धूलों से,
जहां खड़ी हो,
वहीं व्योम भर जाए 
श्वेत फूलों से !
🍁-- रामधारी सिंह दिनकर -- 🍁

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